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अभिधानचिन्तामणिनाममाला • १९४ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक'/ अर्थ पर्याण न. १२५२ पलाण
| पल पुं न. ६२३ मांस पर्याप्त न. क्रि.वि. १५०५ इच्छा प्रमाणे | पल पुं न. ८८४ चार कर्ष (वजन) प्रमाण पर्याप्ति स्त्री १५०२ रक्षणीयने बचावq ते | पल पुं न. ११८२ अनाज रहित छोड, पराळ, पर्याय पुं १५०३ अनुक्रम
कडंब .. पर्युदञ्चन न. ८८१ करज, देवू | पलगण्ड पुं ९२२ कडियो, लीपनार पर्येषणा स्त्री ४९७ (शि. ३८) सेवा, भक्ति | पलडूब पुं ११४२ गूगळy. झाड . पर्वत पुं १०२७ पर्वत . ' पलङ्कष पुं १२८५ (शे. १८४) सिंह पर्वतकाक पुं १३२३ एक जातनो कागडो | पलङ्कषा स्त्री ६८५ लाख पर्वतजा स्त्री १०८० नदी
| 'पलङ्कषा' स्त्री ११५६ गोखरु पर्वताधारा स्त्री ९३७ पृथ्वी
पलप्रिंय पुं १८८ (शे. ३७) राक्षस पर्वन् (द्वि.व.) न. १४८ पूनम अने अमास | पलल न. ६२२ मांस पर्वन् (द्वि.व.) न. १४९ पूनम (अमास)| पललज्वर पुं ४६२ (शे. १०६) पित्त
अने पडवानी वच्चेनो संधिकाळ | पलशत न. ८८५-१०० पल वजन पर्वन् (द्वि.व.) न. ११३० गांठ, ग्रंथि । | पलानि पुं ४६२ (शे. १०६) पित्त पर्वमूल न. १४८ चौदश पूनम-अमासनो | पलाद पुं १८७ राक्षस
वचलो भाग पलायन न. ८०२ नासी जq ते पर्वयोनि पुं १२०० गांठमांथी उत्पन्न थनार | पलायित पुं ८०५ नासी गयेलो
इक्षु आदि | पलाल पुं न. १.१८२ अनाज रहित छोड, पर्वरि पुं १०५ (शे. १३) चंद्र
पराळ पर्वसन्धि पुं १४९ पूनम (अमास) अने | पलाश न. ११२३ पत्र, पांदडुं
पडवानी वच्चेनो संधिकाळ | पलाश पुं ११३६ पलाश वृक्ष, खाखरो पशु पुं ७८६ परशु, कुहाडो 'पलाश' पुं १३९५ लीलो वर्ण पशुका स्त्री ६२७ पडखानी पांसळी 'पलाशिन्' पुं १११४.वृक्ष पशुपाणि पुं २०७ गणेश
पलिक्नी स्त्री ५३४ वृद्ध स्त्री पशुराम पुं ८४८ (शि. ७४) परशुराम | पलिक्नी स्त्री १२७० बाल गर्भवाळी गाय पर्वध पुं ७८६ परशु, कुहाडो पलिघ पुं ७८६ (शि. ६८) लोढाथी पर्षद् स्त्री ४८१ सभा
बंधायेली लाकडी, कडियाळी डांग