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M अभिधानचिन्तामणिनाममाला • १९२ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ परिप्लुता स्त्री ९०२ मदिरा
परिवाह पुं १०८८ वधी गयेला पाणीने परिबह पुं ७१६ नोकर, चाकर वगेरे परिवार
नीकळवानो मार्ग परिभव पुं ४४१ पराभव, तिरस्कार | परिवित्ति पुं ५२६ नानो भाइ परणेलो छतां परिभव पुं १४७९ अनादर
कुंवारो मोटो भाइ परिभाव पुं ४४१ तिरस्कार
परिवृढ पुं ३५८ स्वामी, नायक . परिभाषण न. २७४ निन्दापूर्वक परिवेत्तृ पुं ५२६ मोटो भाइ न परणेलो होय ठपको आपवो ते
त्यारे परंणेलो नानो भाइ परिभूत पुं ८०५ हारेलो, पराजित | पखिदिनी स्त्री ५२६ मोटो भाई न परणेलो 'परिभूत' न. १४७९ तिरस्कारेखें .
छतां परणेला नाना भाईनी स्त्री परिमण्डल न. १४६७ गोळ
परिवेष पुं १०२ जळ कुंडाळु, सूर्य अने परिमल पुं १३९१ मर्दन करवाथी उत्पन्न , चन्द्रनी चारे बाजु देखातुं तेज
थयेल सुगंध परिवेष्टित न. १४७४ घेरायेखें, वीटळायेखें परिमोषिन् पुं ३८२ चोर
'परिव्याध' पुं ११४५ करेण परिरम्भ पुं १५०७ (शे. १३६) आलिंगन परिव्रज्या स्त्री ८१ दीक्षा, प्रव्रज्या परिवत्सर पुं १५९ वरस
परिव्राजक पुं ८०९ संन्यासी परिवर्त पुं १६१ प्रलयकाळ, क्षय | परिशिष्ट न. २५७ ग्रन्थनो अवशिष्ट भाग परिवर्तन न. ८६९ फेरफार करवो ते . | परिश्रम पुं ३१९ थाक . परिवहण न. ७१६ (शि. ६१) नोकर, । परिषद् स्त्री ४८१ सभा
__ चाकर वगेरे परिवार | परिष्कार पुं ६५० अलंकार, घरेणा परिवसथ पुं ९६१ गाम
परिष्कृत न. १४७५ घेरायेखें, वीटायेखें परिवाद पुं २७१ निंदा
परिष्वङ्ग पुं १५०७ आलिंगत परिवाहिनी स्त्री २८८ सात तारवाळी वीणा | परिसर पुं ९६३ सीमाडो परिवापण न. ९२३ हजामत
परिसर्प पुं १५०० विहार, पगे चालवू ते परिवार पुं ७१५ नोकर, चाकर आदि परिस्कन्द पुं ३६० चाकर (परिवार) पुं ७८३ म्यान
| परिस्तोम. पुं६८० झूल परिवारक पुं ४०१ (शे. ९९) चोखानी | परिस्पन्द पुं ६५३ (शे. १३४) रचना,
गूंथण, पुष्पहारनी रचना
धाणी |