________________
शब्दमाला • १७१ ।।
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ । | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ । नन्दिन् पुं ११७१ अडद
नभस् न. १३५९ आकाश - नन्दिनी स्त्री ५५४ नणंद
नभसङ्गम पुं १३१६ पक्षी नन्दिनी स्त्री २०५ (शे. ५८) पार्वती | नभस्य पुं १५४ भादरवो महीनो
नन्दिनीतनय पुं ८५२ व्याडि मुनि नभस्वत् पुं ११०६ वायु, पवन . नन्दिवर्धन पुं २०० (शे. ४१) शंकर | नभोगति स्त्री १३१८ ऊडवू ते, नन्दीक पुं १३२५ (शे. १९२) गामडानो
ऊडवानी क्रिया कूकड़ो | नभोध्वज पुं १६४ (शे. २८) मेघ, वादळ (नन्दीकर) पुं९४ नवमा ग्रैवेयक विमानना | नभोमणि पुं ९५ सूर्य देव
नभोम्बुप पुं १३२९. चातक पक्षी, बपैयो नन्दीमुखी स्त्री ३१३ निद्रा, ऊंघ, तंद्रा | नभ्राज् पुं १६४ मेघ, वादळ नन्दीश पुं २१० शंकरनो नंदीगण नमस् अ. १५४२ नमस्कार नन्दीसरस् न. १७८ इन्द्रनुं सरोवर नमसित पुं ४४७ पूजायेलो नन्द्यावर्त पुं ४८ श्री अरनाथ भ. नुं लांछन | नमस्यित पुं ४४७ पूजायेलो नन्द्यावर्त पुं १०१५ श्रीमंतोना घरनी रचना | नमि पुं २८-२१मा तीर्थंकर भगवान नन्द्यावर्त पुं १११४ वृक्ष | नमुचि पुं १७४ इन्द्रनो शत्रु (नन्द्यावत) पुं १३४८ मोटुं माछलुं -(नमुचिद्विष्) पुं १७५ इन्द्र नपुंसक पुं न. ५६२ नपुंसक, हीजडो । नय पुं ७४३ न्याय नस पुं ५४४ पुत्रनो पुत्र, पौत्र
नयन न. ५७५ आंख नप्त पुं ५४४ (शे. ११६) दौहित्र, नयनौषध न. १०५७ हीराकसी
पुत्रीनो पुत्र नर पुं ३३७ मनुष्य नभ पुं १६३ (शे. २७) आकाश नर पुं ७०९ अर्जुन (नभःकेतन) पुं ९७ सूर्य । नरक पुं. २२१ विष्णुनो शत्रु राक्षस नभःक्रान्त पुं १२८५ (शे. १८४) सिंह | नरक पुं १३५९ नरक, दुःखनुं स्थान (नभःपान्थ) पुं. ९७ सूर्य ...
नरकभूमि (ब.व.) स्त्री १३६० नरकनी नभःश्वास पुं ११०६ वायु, पवन..
पृथ्वी नभस् पुं १५४ श्रावण महीनो | नरकस्था स्त्री १०८६ वैतरणी नदी नभस् न. १६३ आकाश . I(नरकारि) पुं २२१ विष्णु, कृष्ण