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शब्दमाला • १६९ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ ध्वज पुंन. ७५० धजा, दंडमां नाखेली होय ते | नक्तम् अ. १५३३ रात्रि ध्वज पुं ९०१ कलाल, मदिरा वेंचनार | नक्तम् अ. १४३ रात्रि ध्वजप्रहरण पुं ११०७ (शे. १७२) वायु, | नक्तमाल पुं ११४० करज
पवन | नक्ता १४३ (शे. २०) रात्रि ध्वजिन् पुं ९०१ कलाल, मदिरा वेंचनार | नक्र न. ५८१ नाक ध्वजिनी स्त्री ७४६ लश्कर
नक्र पुं १३४९ मगर मच्छ ध्वनि पुं १३९९ ध्वनि, अवाज नक्षत्र न. ९२ पांच ज्योतिषी पैकी ४था देव ध्वनिग्रह पुं ५७३ कान
नक्षत्र न. १०७ नक्षत्र, तारा ध्वनिविकार पुं १४१० शोक भय विगेरेथी नक्षत्रमाला स्त्री ६६२ नक्षत्रनी माळा प्रमाणे ध्वनिमां थतो विकार, स्वर- परिवर्तन
२७ मोतीओनी माळा (ध्वस्त) न. २६६ अक्षर के पद रही जाय | नक्षत्रवर्त्मन् न. १६३ (शे. २७) आकाश तेवू वचन
| (नक्षत्रवर्मन्) न. १६३ आकाश 'ध्वस्त' न. १४९१ गळेलु
(मक्षत्रेश) पुं १०४ चन्द्र ध्वाक्ष पुं १३२२ कागडो
नख पुं न. ५९४ नख ध्वान पुं १३९९ स्वर, शब्द, ध्वनि नखर त्रि. ५९४ नख ध्वान्त पुं. न. १४६ अन्धकार .. नखरायुध पुं १२८४ सिंह ध्वान्तचित्र पुं १२१३ (शे. १७) खद्योत, | नखविष पुं १३१३ नखमां झेरवाळा मनुष्य . :
आगीओ नखायुध पुं १३२५ (शे. १९१) कूकडो ध्वान्तारारि पु ९६ सूर्य
| नखारु पुं ६३१ (शे. १३०) नस, स्नायु
नग पुं १०२७ पर्वत न अ. १५३९ नहि
नग पुं १११४ वृक्ष, झाड नःक्षुद्र पुं ४५१ क्षुद्र नाकवाळो | नगरद्धारकूटक पुं ९८२ नगरना दरवाजा नकुल पुं १३०२ नोळीओ
पासे चढवा-ऊतरवानो ढाळ नकुल पुं ७१० (शे. १३९) पांच पांडव | नगरी स्त्री न. ९७१ नगरी
. पैकी एक | नगावास पुं १३२० (शे. १८९) मोर नकुला स्त्री २०५ (शे. ५८) पार्वती 'नगौकस्' पुं १३१७ पक्षी नक्तक पुं ६७६ वस्त्रनो टुकडी, गळणुं । नग्न पुं ७९५ स्तुति-पाठक