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शब्दमाला • १३१ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ जलूका स्त्री १२०४ जळो (लोही चूसे ते) | जागुड न. ६४५ केशर जलेशय पुं २१९ (शि. १५) विष्णु जागृवि स्त्री १०९९ अग्नि जलोच्छास पुं १०८८ वधी गयेला पाणीने जाङ्गल पुं९५३ (शि. ८४) पाणी विनानो देश
नीकळवानो मार्ग | जागुलिक पुं ४७४ विष उतारनार वैद्य जलौकस् पुं १२०३ जळो . जागुली स्त्री २०५ (शे. ५१) पार्वती जलौका स्त्री १२०४ जळो
जाधिक पुं ४९४ खेपीयो जल्पाक पुं ३४७ वाचाल, निंद्य बोलनार | जाड्य न. ३०५ जडता जल्पित न. २४१ (शे. ८२) वाणी, वचन | जाड्य न. ३१२ मूर्खता जव पुं ४९५ वेग
जात न. १४१२ समूह जवन पुं ४९४ घणा वेगवाळो जातन. १५१५ (शि. १३६) सामान्य जाति, जात जवन पुं १२३४ अधिक वेगवाळो घोडो | जातरूप न. १०४४.सोनुं जवन न. ४२४ (शि. २९) भोजन, खावू जातवेदस् पुं १०९९ अग्नि जवनी स्त्री ६८० पडदो, कनात जातापत्या स्त्री ५३९ सुवावडी स्त्री जवा स्त्री ११४७ (शि. १०४) जपा पुष्प, | जाति स्त्री ११४७ चमेली, जाई
. जासुद · | जाति स्त्री १५१५ सामान्य जाति, जात जवापुष्य पुं ६४५ (शे. १३३) केशर जातिकोश न. ६४३ जायफल जविन् पुं ४९४ घणा वेगवाळो जातिफल न. ६४३ जायफल जवीयस न. १०४३ (शे. १६२) रघु जातिमात्रजीविन् पुं ८५५ जाति मात्रथी 'जहा' स्त्री ११५१ कौवच
- जीवनार ब्राह्मण जहनु पुं २१६ विष्णु
'जाती' स्त्री ११४७ जाई जनुकन्या स्त्री १०८२ (शि. ९६) गंगा नदी जातीफल न. ६४३ जायफल जागर पुं ४४३ उजागरो
जातु अ. १५३३ कोईक वखत जागरण न. ४४३ उजागरो.
(जातृकार) पुं १०३ माठरादि १८ सूर्यना जागरित पुं ४४३ (शि. ३१) जागनार
पारिपाश्विक देवो जागरिन् पुं ४४३ जागनार
जातोक्ष पुं १२५८ युवान बळद जागरुक पुं ४४३ जागनार
जात्य पुं ५०३ कुलवान जागर्या स्त्री ४४३ उजागरो
| जात्य न. १४३९ मुख्य, प्रधान