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PARSHA
- शब्दमाला • १२३ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ भिक्खाल पुं १०९० (शि. ९९) कादव | चित्रकृत् पुं ९२१ चित्रकार, चितारो चिक्लिद पुं १०५ (शे. १३) चंद्र, चंद्रमा | 'चित्रकृत्' पुं ११४२ तणछ 'विच्छा' स्त्री ११४३ आंबली- झाड चित्रकृत्त्व न. ७० प्रभुवाणीनो २७मो गुण चित् स्त्री ३०९ बुद्धि, ज्ञान
(निरंतर आश्चर्य उत्पन्न करनारी) चित् अ. १५४२ (शे. १९९) कंईक चित्रगुप्त पुं ५५ भावीना १६मा तीर्थंकर चिता स्त्री ३७५ चिता, चेह
चित्रगुप्त पुं १८६ यमनो लेखक (मडदाने बाळवानी). चित्रपिङ्गल पुं १३२० (शे. १८८) मोर चिति स्त्री ३७५ चिता, चेह . चित्रपुल पुं ७७८ बाण __(मडदाने बाळवानी)
चित्रभानु पुं ९६. सूर्य चित्त न. १३६९ मन, चित्त
चित्रभानु पुं १०९८ अग्नि चित्तप्रसन्नता स्त्री ३१५ मननी प्रसन्नता चित्रयोधिन् पुं.७१० (शे. १३८) अर्जुन चित्तविप्लव पुं ३२० मननी घेलछा, चित्रल पुं १३९८ काबरचीतरो रंग
चित्तभ्रम चित्रवल्लिक पुं १३४५ मगरमच्छ चित्तोन्नति स्त्री ३१७ अभिमान, गर्व चित्रवाज पुं १३२५ (शे. १९३) कुकडो चित्या स्त्री ३७५ चिंता, चेह
चित्रशाला स्त्री ९९९ चित्रशाळा चित्र न. ३०३ आश्चर्य, अद्भुत .. |चित्रशिखण्डिज पुं ११८ गुरु चित्र न. ६५३ केशर-चंदन आदिनुं तिलक, | चित्रशिखण्डिन् (ब.व.) पुं १२४ सप्तर्षि, चांदलो
• मरीचि आदि सात ऋषिना नाम चित्र. न. ९२२ चित्र
'चित्रा स्त्री ११२ नक्षत्र विशेष चित्र पुं १३९८ काबर चीतरो रंग 'चित्रा' न. ११५७ इन्द्रवारुणी चित्रक न. ६५३ (शि. ५२) केशर - चंदन | चित्राङ्गसूदन पुं ७१० (शे. १३८) अर्जुन
वगेरेनुं तिलक, चांदलो | चिदूप पुं ३४५ परिपकव ज्ञानवाळो चित्रक पुं १२८५ वाघ
चिन्ता स्त्री ३२० विचारणा, ध्यान 'चित्रक' पुं ११५० एरंडो, दीवेलो . चिपिट पुं ४०१ पौवा चित्रकरपुं९२१ (शि. ८१) चित्रकार, चितारो | चिपिट पुं ४५१ (शे. १०५) चपटा चित्रकाय' पुं १२८५ सिंह
नाकवाळो, चीबो . चित्रकाय पुं १२८५ वाघ । I(चिपिटक) पुं ४०१ पौंवा