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.. शब्दमाला • ११५ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ. . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ
घनवात पुं १३५९ थीजेला घी जेवो घट पुं ४८ श्री मल्लिनाथ भगवाननुं लांछन
कठिन वायु घट पुं ९६२ मर्यादा, हद
घनवाहन पुं १९७ शंकर, महादेव घट पुं स्त्री १०१९ घडो, कलश घनश्रेणी स्त्री ९३८ (शे. १५७) पृथ्वी घटा स्त्री ४८१ सभा
घनसार पुं ६४३ कपूर घटा स्त्री १२२३ हाथीनो समूह घनाघन पुं १६४ मेघ, वादळ घटिका स्त्री १३७ घडी, ६ क्षण प्रमाण काळ | घनाजनी स्त्री २०५ (शे. ५४) पार्वती घटीयन्त्र न. १०९३ रेंट, अरघट्ट घनात्यय पुं १५८ शरद ऋतु, घटोद्भव पुं १२२ अगस्त्य ऋषि
आसो कार्तिक मासमां घट्ट पुं १०८७ तीर्थ, घाट, पाणीनो आरो | घनाश्रय पुं १६३ आकाश घण्टापथ पुं ९८७ राजमार्ग
घनोत्तम न. ५७२ (शे. १२०) मुख घण्टाशब्द न. १०४९ कांसु घनोदधि पुं १३५९ बरफनी जेम जामेलुं पाणी घण्टिका स्त्री ५८५ पडजीभी | घनोपल पुं.१६६ पाणीना करा घन पुं १६४ मेघ, वादळ
घर्धर पुं २९६ हास्य, हास्य रसनो घन न. २८६ करताल, घंट, झल्लरी वगेरे
स्थायी भाव कांसानुं वाजिंत्र | घर्घरी स्त्री ६६५ (शे. १३५) घूघरी घन न. २९२ मध्यम गतिवाळु नृत्य . धर्म पुं ३०५ घाम, गरमी, परसेवो घन पुं ५६४ शरीर .
घर्मा स्त्री १३६१ (शे. १९७) रत्नप्रभा पृथ्वी घन पुं ७८५ घण, मगदल, मोगरी घसि स्त्री ४२३ भोजन घन न. १०३७ लोखंड
घसुरि पुं ११०० (शे. १६९) अग्नि घन न. १४४७ निरंतर, घट्ट
घस्मर पुं ३९४ भक्षण करनार, खानार घन न. ५७२ (शे. १२०) मुख घस्त्र पुं १३८ दिवस घन न. १०४२ (शे. १६१) कलइ घाटा स्त्री ५८६ डोक अने माथानी घनगोलक पुं न. १०४७ सोना अने।
संधिनो पाछलो भाग ... रुपाथी मिश्र धातु | पाण्टिक (ब.व.) पुं ७९४ देव वगेरेनी घनधातु पुं ६२० रसधातुः ।
आगळ घंट वगाडी कहेनार, संभळावनार, घनरस न. पुं १०६९ जल, पाणी. | घंटा वगाडी राजा वगेरेने जगाडनार