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__ शब्दमाला • ८९ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ कुहू स्त्री १५१ चून्द्र न जणातो होय कूणितेक्षण पुं १३३५ (शे. १९५) गीध
तेवी अमास . कूप पुं स्त्री १०९१ कूवो कुहूमुख पुं १३२१ (शे. १९०) कोयल | कूपक पुं ८७७ वहाणनो कूवास्तंभ, जेमां कूकुद पुं ४७५ सत्कार करी
. नाव बंधाय ते सढ . . - अलंकृत कन्या आपनार | कूपक पुं १०८८ वहेळाओ, पाणी काढवा कूचिका स्त्री ९२२ चितारानी पींछी
कराता खाडा कूचिका स्त्री १००५ कूची, चावी कूपज पुं ६३० (शे. १२९) रूवांडां कूचिका स्त्री ४०५ (शि. २८) दूधनो कूपद पुं ४७५ (शे. १०७) सत्कारपूर्वक
.. मावो वगेरे अलंकार पहेरावी कन्या- दान करनार (कूजन) न. १४०७ पक्षीनो शब्द कू बर न. पुं ७५६ धूसरीनुं लाकडं कूजित न. १४०७ पक्षीनो शब्द कू र न. पुं ३९५ भोजन, भात कूट न. पुं ३७८ छळ, कपट कूर्च न. ५८० बे भवानो आगलो भाग कूट न. पुं ९२० लोढानो घण कूर्च न. पुं. ५८३ मूछ, दाढी कूट न. पुं १०३२ पर्वतनुं शिखर कूर्च न. पुं ६१७ कांकसा, अंगूठो अने कूट पुं १२५९ भांगेला शिंगडावाळो बळद . आंगळीओनी उपरनो भाग कूट न. पुं १४११ समूह, समुदाय , | कूर्चशिरस् न. पुं. ६१७ कूर्चनो अग्र भाग 'कूटक' न. ८९१ दंड रहित हळ कू र्चिका स्त्री ४०५ दूधनो विकार, मावो कूटकृत पुं २०० (शे. ४४) शंकर महादेव | कूर्दन म. ५५६ क्रीडा, रमत कूटयन्त्र न. ९३२ पशु-पक्षीने पकडवानो | कूर्प न. ५८० बे भवानो वचलो भाग फांसो .
| कूर्पर पुं ५९० कोणी कूटसाक्षिन् पुं ८८२ (शे. १५५) खोटें | कूर्पास पुं ७६७ चोळी, कांचळी, योद्धानुं . बोलनार साक्षी
छाती, सुतराउ बख्तर कूटस्थ न. १४५३ अनंतकाळ सुधी एक | कूर्पास पुं६७४ (शि. ५५) चोळी, कांचळी
. रूपे रहे ते आकाशादि | कूर्पासक पुं ६७४ चोळी, कांचळी कूणिका स्त्री. २९१ वीणानी वच्चे रहेली | कूर्म पुं ४८ काचबो, श्री मुनिसुव्रत वांसनी सळी
भगवाननुं लांछन कूणिका स्त्री १२६४ बळदनुं शिंगडुं । कूर्म पुं १३५३ काचबो