________________
अभिधानचिन्तामणिनाममाला • ७४ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ (कल्माषपक्षिन्) पुं १०३ माठर, सूर्यना | कवि पुं. ३४१ विद्वान, पंडित
पारिपाश्विक देव | कवि पुं ८४६ वाल्मीकि ऋषि कल्य न. १३९ प्रातःकाळ
कविका स्त्री १२५० लगाम, चोकडं कल्य पुं ४७४ नीरोगी
कवितृ पुं ३४१ (शि. २२) विद्वान, पंडित कल्य स्त्री न. ९०२ मदिरा
कविय पुं न. १२५० लगाम, चोकडु कल्यपाल पुं ९०१ कलाल, मदिरा वेचनार | कवी स्त्री १२५० लगाम, चोकडं कल्यवर्त पुं ४२५ प्रभात, भोजन, नास्तो | कवोष्ण पुं १३८६ थोडं ऊनुं . कल्या स्त्री २७३ मांगलिक शब्द, कव्य न. ८३२ ब्राह्मण द्वारा पितृओने शुभ वचन
____ आपवा योग्य ओदन कल्याण न. ८६ शुभ
| कशा स्त्री १२५२ चाबुक कल्याण न. २४८ चौद पूर्व पैकी कशारुका स्त्री ६२७ (शि. ४८) पीठखें ११मुं पूर्व
हाडकुं, बरडानी करोड कल्याण न. १०४३ सोनुं
| कशिपु पुं ६८५ (शि. ५७) भोजन (कल्याणप्रवाद) न. २४८ चौद पूर्व पैकी
अने वस्त्र ११मुं पूर्व कशेरुका स्त्री न. ६२७ पीठ- हाडकुं, कलत्व न. ३०६ अव्यक्त स्वर .
बरडानी करोड कल्लोल पुं १०७६ मोजा
| कश्मल. न. ८०१ मूर्छा कवक पुं ४२५ कोळीयो
| कश्मल न. १४३५ मलिन, मेलं कवक न. ११८४ दस पैकी एक प्रकार- शाक, | कश्मीर पुं ९५८ काश्मीर देश
चोमासामां ऊगती छत्राकार कागडानी टोपी | | कश्मीरजन्मन् न. ६४४ केशर कवच पुं न. ७६६ बख्तर, कवच | कश्य न. ९०२ मदिरा कवचित पुं ७६६ (शि. ६५) बख्तर | कश्य पुं. १२३६ चाबूकने योग्य मध्यम पहेरेलो माणस
चालनो घोडो कवल पुं न. ४२६ कोळीयो | कश्य न. १२४४ घोडानो मध्य भाग कवाट पुं १००७ (शि. ८७) बार| |कष पुं ९०९ कसोटीनो पथ्थर, सराण कवि पुं ११९ शुक्र
कषाय पुं १३८९ कषायेलो तूरो रस कवि पुं २११ ब्रह्मा
| कष्ट न. १३७१ दुःख, पीडा