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अरीहणकशाश्व०
अर्थवत्
•il.78 ..
अरीहणकशाश्वर्ण्यकुमुदकाशतृणप्रेक्षाश्मसखिसंकाश- अति.. - VII. ii. 36 बलपक्षकर्णसुतङ्गमप्रगदिन्वराहकुमुदादिभ्यः -IV. II. 79 देखें - अर्तिही० VII. il. 36
अरीहण,कृशाश्व,ऋश्य,कुमुद,काश,तृण,प्रेक्ष,अश्म, ...अर्ति... - VII. 1.78 सखि, संकाश, बल, पक्ष, कर्ण, सुतङ्गम, प्रगदिन, वराह, कुमुद आदि 17 गणों के प्रातिपदिकों से (यथासङ्ख्य
अर्ति... -VII. iv. 29 वुज,छण,क,ठच, इल,स,इनि,र,ढण्य,य,फक्,फिज, इज, ज्य,कक्, ठक् चातुरर्थिक प्रत्यय होते है)।
देखें- अर्तिसंयोगाद्यो: VII. iv. 29 . अरुस्... - V.iv.51
अर्ति... -VII. iv.77 देखें- अर्मनस्० V.iv.51
देखें - अतिपिपयो: VII. iv.77 अरुस्... -VI. iii.66
अतिपिपत्यों: - VII. iv.77 देखें- असक्दिजन्तस्य VI. 11.66
ऋ तथा पृ धातुओं के (अभ्यास को भी श्लु होने पर .. अरुषिदजन्तस्य-VI. iii. 66
इकारादेश होता है)। अरुष, द्विषत् तथा (अव्ययभिन्न) अजन्त शब्दों को ....अर्तिभ्यः - III. 1. 56 (खिदन्त उत्तरपद रहते मुम् आगम होता है)।
देखें-सर्तिशास्त्य III. 1.56 अर्मनश्चक्षुश्वेतोरहोरजसाम् - V. iv. 51 ..
अर्तिलूघूसूखनसहचरः - III. ii. 184 (सम्पद्यते के कर्ता में वर्तमान) अरुस्, मनस, चक्षुस्,
ऋ,लूज,धू, ष,खनु, षह, चर-इन धातुओं से (करण । चेतस्, रहस् तथा रजस् शब्दों (से कृ,भू तथा अस्ति के योग में च्चिप्रत्यय होता है, तथा उन शब्दों) के (अन्त्य
कारक में इत्र प्रत्यय होता है, वर्तमान काल में)। सकार का लोप हो जाता है)।
अर्तिसंयोगाद्यो: - VII. iv. 29 ...अरुपः -III. 1. 35
ऋ तथा संयोग आदि में है जिसके, ऐसे (ऋकारान्त) देखें-विध्वरुषः III. 1.35
धातु को (यक् तथा यकारादि असार्वधातुक लिङ् परे रहते ...अरुयु-III. 1. 21
गुण होता है)। देखें-दिवाविभा० III. 1. 21
अर्तिहीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् - VII. ill. 36 ....अरोकाभ्याम् - V. iv. 144
ऋ,ही,ब्ली,री,क्नूयी, मायी तथा आकारान्त अङ्गको देखें -श्यावारोकाभ्याम् V. iv. 144
(णिच् परे रहते पुक् आगम होता है)। ...अर्घाभ्याम् - V. iv. 25
...अर्थ... -II. I. 35 देखें- पादार्घाभ्याम् V. iv. 25 ...अर्चाभ्यः -v.ii. 101
देखें - तदर्थार्थबलिहित० II. I. 35 देखें-प्रज्ञाश्रद्धाov.ii. 101
...अर्थ... - IV. iv. 40 अायाम् -II. iii. 43
देखें-प्रतिकण्ठार्थललामम् IV. iv. 40 अर्चा = पूजा गम्यमान हो तो (साध और निपण शब्दों ...अर्थ... - IV. iv. 92 के योग में सप्तमी विभक्ति होती है, यदि 'प्रति साथ में देखें-धर्मपथ्यर्थ IV. iv.92 प्रयुक्त न हो तो)।
...अर्थवचनम् -I. ii. 56 ...अर्जुनाभ्याम् - IV. iii. 98
देखें - प्रधानप्रत्ययार्थवचनम् I. ii. 56 देखें - वासुदेवार्जुनाभ्याम् IV. iii. 98
...अर्थवचने -II.i. 33 अर्ति... - III. ii. 184
देखें- अधिकार्थवचने II. 1. 33 देखें-अतिलघ० III. 1. 184
अर्थवत् -I.ii. 45 ...अर्ति... -VII. 1.66
अर्थवान् शब्द (प्रातिपदिक-संज्ञक होते है; धात.प्रत्यय देखें - अत्यतिव्ययतीनाम् VII. 1.66
और प्रत्ययान्त को छोड़कर)।