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अयतो
अरीहण
अयतौ-VIII. ii. 19
अय धातु के परे रहते (उपसर्ग के रेफ को लकारादेश होता है)। अयथाभिप्रेताख्याने -III. iv.59 .. इष्ट का कथन जैसा होना चाहिये वैसा न होना गम्यमान हो तो (अव्यय शब्द उपपद रहते कृञ् धातु से क्त्वा और णमुल् प्रत्यय होते है)। अयदि -III. iii. 155 (सम्भावना अर्थ को कहने वाला धातु उपपद हो तो) यत् शब्द उपपद न होने पर (सम्भावन अर्थ में वर्तमान धातु से विकल्प से लिङ प्रत्यय होता है.यदि अलम शब्द का अप्रयोग सिद्ध हो)। . . अयदौ-III. iii. 151
यदि का प्रयोग न हो (और यच्च तथा यत्र से भिन्न शब्द उपपद हो तो चित्रीकरण गम्यमान होने पर धातु से लुट् प्रत्यय होता है)। अयनम् -VIII. iii. 24
(अन्तर शब्द से उत्तर) अयन शब्द के (नकार को भी णकारादेश होता है, देश का अभिधान न हो तो)। ...अयम्... -VI.i. 112 'देखें - अव्यादवद्यादOVI.i. 112 अयवादिभ्यः - VIII. ii.9
यवादि शब्दों से भिन्न (मकारान्त एवं अवर्णान्त तथा मकार एवं अवर्ण उपधा वाले) प्रातिपदिक से उत्तर (मतप - को वकारादेश होता है)।
अयवायावः -VI. 1.75 . (अच परे रहते एच = ए, ओ.ऐ.औ के स्थान में यथा
सङ्ख्य करके) अय, अव, आय, आव आदेश होते है. (संहिताविषय में)। अयस्... - III. iii. 82
देखें - अयोविद्रुषु III. iii. 82 ...अयस्... -V.iv.94
देखें- अनोश्मायःo V. iv.94 अयस्मयादीनि -I. iv. 20
अयस्मय इत्यादि शब्द (वेद में साधु माने जाते है)। अयःशूल... - V.ii.76 देखें- अयःशूलदण्डाov.ii. 76
अयःशूलदण्डाजिनाभ्याम् -V.ii.76
तृतीयासमर्थ अयःशूल तथा दण्डाजिन प्रातिपदिकों से (यथासङ्ख्य करके ठक् तथा ठञ् प्रत्यय होते हैं, 'चाहता है' अर्थ में)। ...अयानयम् -v.ii.9
देखें - अनुपदसर्वान्ना० V. 1.9 अयोपधात् - IV.i.63
जो नित्य ही स्त्रीविषय में न हो,तथा) यकार उपधावाला न हो, ऐसे (जातिवाची) प्रातिपदिक से (स्त्रीलिंग में डीप प्रत्यय होता है)। ...अयोविकार... - IV.i. 42
देखें-वृत्यमत्रावपनाo IV.i. 42 अयोविद्रुषु -III. iii. 82
अयस.वि तथा दू उपपद रहते हुए (हन् धातु से करण कारक में अप् प्रत्यय तथा हन् के स्थान में घनादेश भी होता है)। अरक्त... - VI. iii. 38
देखें - अरक्तविकारे VI. iii. 38 अरक्तविकारे -VI. iii. 38
(वृद्धि का कारण है जिस तद्धित में, ऐसा तद्धित) यदि रक्त तथा विकार अर्थ में विहित न हो तो (तदन्त स्त्री शब्द को पुंवद्भाव नही होता)। ...अरण्य... - IV. 1. 48
देखें-इन्द्रवरुणभव V.i. 48 अरण्यात् -IV.ii. 128 "अरण्य प्रातिपदिक से (मनुष्य अभिधेय हो तो शैषिक वुञ् प्रत्यय होता है)। अरिष्ट ... - VI. ii. 100
देखें- अरिष्टगौडपूर्वे VI. ii. 100 अरिष्टगौडपूर्वे - VI. ii. 100
अरिष्ट तथा गौड शब्द पूर्व है जिस समास में.(उसके पूर्वपद को भी पुर् शब्द उत्तरपद रहते अन्तोदात्त होता
...अरिष्टस्य- IV. iv. 143
देखें - शिवशमरिष्टस्य IV. iv. 143 अरीहण... - IV. ii. 79 देखें-अरीहणकशाश्व IV. ii.79