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स्वात...
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स्वौजसमौट्छष्टाध्याम्पिस्केभ्याम्भ्यस्खसि०
स्वाले... - III. iv. 54
स्वामिनि - VI. 1. 17 (अधुव) स्वाङ्गवाची (द्वितीयान्त शब्द) उपपद रहते स्वामिन् शब्द उत्तरपद रहते (तत्पुरुष-समास में स्ववाची (धातु से णमुल् प्रत्यय होता है)।
पूर्वपद को प्रकृतिस्वर हो जाता है)। स्वाङ्गे-III. iv. 61
स्वामिवैश्ययो:-III. I. 103 (तस्प्रत्ययान्त) स्वाङ्गवाची शब्द उपपद हो तो (कृ, भू
स्वामी और वैश्य अभिधेय हों तो (अर्य शब्द ऋधातु धातुओं से क्त्वा, णमुल् प्रत्यय होते है)।
से यत्प्रत्ययान्त निपातन है)। स्वागे-v.iv. 159
स्वामी... - II. Il. 39 'स्वाग' में वर्तमान (नाडीशब्दान्त तथा तन्त्रीशब्दान्त
देखें- स्वामीश्वराधिपति II. III. 39 बहुव्रीहि से समासान्त कप् प्रत्यय नहीं होता है।
स्वामीश्वराधिपतिदायादसाक्षिप्रतिभूप्रसूतैः-II. il. 39
स्वामी, ईश्वर, अधिपति, दायाद, साक्षी, प्रतिभू, प्रसूत नाडी = किसी पौधे का पोला डंठल।
-इन शब्दों के योग में (षष्ठी और सप्तमी विभक्ति तन्त्री = डोरी, स्नायु, तात, पूंछ।
होती है)। स्वाङ्गेभ्यः-v.il.66
...स्वाहा... -II. ill. 16 (सप्तमीसमर्थ) स्वाङ्गवाची प्रातिपदिकों से (तत्पर'.
देखें-नमःस्वस्तिस्वाहा II. I. 16 अर्थ में कन् प्रत्यय होता है)।
स्वित्- VIII. ii. 102 ...स्वाति... - Iv.ili. 34
'उपरि स्विदासीत्' इसकी (टि को भी प्लुत अनुदात्त देखें- अविष्ठाफल्गुन्यनु० IV. iii. 34
होता है)। स्वादिष्य-III. 1.73
...स्विदि...-I. 1. 19 . षुञ् आदि धातुओं से (श्नु प्रत्यय होता है, कर्तृवाची ।
देखें-शीस्विदिमिदिक्ष्विदिषः I. 1. 19 सार्वधातुक परे रहते)।
...स्विदि... - VIII. ii. 62 स्वादिषु-I. iv. 17
देखें- स्विदिस्वदि.VIII. III. 62 (सर्वनामस्थान-भिन्न) स आदि प्रत्ययों के परे रहते (पूर्व स्विदिस्वदिसहीनाम-VIII. III. 62 की पद संज्ञा होती है)। .
__ (अभ्यास के इण से उत्तर ण्यन्त) बिष्विदा, वद तथा स्वादुमि-III. iv. 26
षह धातुओं के (सकार को सकारादेश ही होता है,षत्वभूत स्वादुवाची शब्दों के उपपद रहते (समानकर्तृक पूर्व- सन् के परे रहते भी)। कालिक कृञ् धातु से णमुल प्रत्यय होता है)।
....स्थ...- VII. II. 49 ...स्वान्त... - VII. ii. 18
देखें-इवन्तर्घOVII. 1.49 देखें-शुब्यस्वाल VII. ii. 18
स्वे-III. iv. 40 स्वाये:-VI.i. 18
स्ववाची (करण) उपपद रहते (पुष् धातु से णमुल प्रत्यय णिजन्त स्वप् धातु को (चङ् प्रत्यय के परे रहते सम्प्र
होता है)। सारण हो जाता है)।
...स्वी...-III. iv.2 ...स्वाप्योः - VII. iv.67
देखें-हिस्वी III. iv.2 देखें-तिस्वाप्यो: VII. iv. 67
स्वौजसमौट्छष्टाभ्याम्भिस्केभ्याम्भ्यस्डसिभ्याम्भ्यस्सोस्वामि..-III. I. 103
साप्छ्योस्सुप् - IV. 1.2 देखें-स्वामिवैश्ययोः III. 1. 103
सु,ओ,जस्,अम, औद,शस.टा,न्याम,भिस,के,भ्याम, स्वामिन-v.1. 126
भ्यस्, ङसि, भ्याम्, भ्यस्, जस, ओस्, आम, डि, ओस, 'स्वामिन् शब्द आमिन्प्रत्ययान्त निपातन किया जाता
सुप-२१ प्रत्यय (सभी ड्यन्त,आवन्त तथा प्रातिपदिकों
से होते हैं। है; (मत्वर्ष में, ऐश्वर्य गम्यमान हो तो)।