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स्वस्तिस्य
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स्वाङ्गात्
स्वरितस्य-I.1.37
(सुबह्मण्या नाम वाले निगद में एकश्रुति नहीं होती, किन्तु उस निगद में वर्तमान) स्वरित को. (उदात्त तो हो जाता है)। स्वरितात्-I. 1.39
स्वरित स्वर से उत्तर (अनुदात्तों को एकति होती है संहिता-विषय में)। स्वरितेन-III. 11
स्वरितचिह्न से (अधिकारसूत्र ज्ञात होता ...स्वरितोदयम्-VIII. iv.60
देखें-उदात्तस्वरितोदयम् VIII. iv. 60 स्वरे-II.1.2
स्वर कर्तव्य होने पर (आमन्त्रित परे रहते सुबन्त पर अज के समान होता है)। ...स्ववस्... -VII.1.83
देखें-दवस्वका VII. 1.83 स्वसा-VIII. iii. 84
(मातृ तथा पितृ शब्द से उत्तर) स्वस शब्द के (सकार को समास में मूर्धन्य आदेश होता है)। स्वसुः- IV. 1. 143
स्वस प्रातिपदिक से (अपत्यार्थ में छ प्रत्यय होता है)। स्वस्... -I. 1. 68
देखें-स्वसहितभ्याम् I. ii. 68 स्व स... -VI. ill. 23
देखें- स्वस्पत्योः VI. ill. 23 ...स्वस्... - VI. iv. 11
देखें- अप्तन्तच्० VI. iv. 11 स्वसदुहितभ्याम्-I.ii. 68 ,
(प्रात और पुत्र शब्द यथाक्रम) स्वस और दुहित शब्दों के साथ (शेष रह जाते हैं। स्वस. दहित शब्द हट जाते
...स्वस्ति... -II. iii. 16
देखें-नमःस्वस्तिस्वाहा II. 11.16 ...स्वस्तिकस्य-VI. iii. 114
देखें-अविष्टाष्टO VI. iii. 114 ...स्वस्त्रादिभ्यः- IV. 1. 10
देखें-क्ट्स्वस्त्रादिभ्यः IV.I. 10 ...स्वा...-VII. iii. 47
देखें- भखैषा० VII. III 47. स्वागतादीनाम्-VII. iii.7
स्वागत इत्यादि शब्दों को (भी जो कुछ कहा है, वह नहीं होता)। स्वाङ्गम्-VI. ii. 167
अपने अङ्गवाची (उत्तरपद मुख शब्द को बहुव्रीहि-. समास में अन्तोदात्त होता है)। स्वाङ्गम्-VI. II. 177
(बहुव्रीहि-समास में उपसर्ग से उत्तर पशुवर्जित ध्रुव) स्वाङ्ग को (अन्तोदात्त होता है)।
पशु = कुठार, शास्त्र, गणेश एवं परशुराम का वि- ' शेषण। स्वाङ्गात्-IV..54
स्वाङ्वाची. (उपसर्जन. असंयोग उपधावाले अदन्त । प्रातिपदिक) से (स्त्रीलिङ्ग में विकल्प से डीष प्रत्यय होता
स्वाङ्गात्- V. iv. 113 स्वाङ्गवाची (जो सक्थि तथा अक्षि शब्द, तदन्त) से समासान्त षच् प्रत्यय होता है,बहुव्रीहि समास में)। सक्थि = जंघा, हड्डी, गाड़ी का धुरा
अक्षि = आंख,दो की संख्या। स्वागात्-VI. iii. 11
(मूर्धन् तथा मस्तकवर्जित हलन्त एवम् अदन्त) स्वाङ्गवाची शब्दों से उत्तर (सप्तमी का कामभिन्न शब्द उत्तरपद रहते अलुक् होता है)। स्वाङ्गात् -VI. ill. 39 स्वाङ्गवाची शब्द से उत्तर (भी ईकारान्त स्त्रीशब्द को पुंवद्भाव नहीं होता)।
स्वस्पत्योः -VI. Iii. 23
स्वस तथा पति शब्द के उत्तरपद रहते (विद्या तथा योनि-सम्बन्धवाची ऋकारान्त शब्दों से उत्तर षष्ठी का विकल्प से अलुक् होता है)।