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स्तनः -VIII. iii. 86
स्तम्भुस्तुम्भुस्कम्भुस्कुम्भुस्कुज्य-III.1.82 (अभि तथा निस् से उत्तर) स्तन् धातु के (सकार को
स्तम्भु,स्तम्भु,स्कम्भु,स्कुम्भु तथा स्कुञ्-इन धातुओं शब्द की सज्ञा गम्यमान हो तो विकल्प से मूर्धन्य आदेश से (श्नु प्रत्यय तथा श्ना प्रत्यय भी होता है, कर्तृवाची होता है)।
सार्वधातुक परे रहते)।
...स्तम्भो :- VIII. iv.60 . ...स्तनयोः-II. 1. 29
देखें- स्थास्तम्भो: VIII. iv.60 देखें-नासिकास्तनयोः III. 1. 29
...स्ता ... -III. . 123. स्तन्म:- VIII. iii. 67
देखें-निष्टयदेवहूय III. I. 123 (उपसर्गस्थ निमित्त से उत्तर) स्तन्मु के (सकार को मूर्धन्य ...स्ताव्य.. -III. I. 123 आदेश होता है, अट् के व्यवाय एवं अभ्यास के व्यवाय देखें-निष्टक्र्यदेवहूय० III. 1. 123 .. में भी)।
...स्तु...-III. 1. 109 ...स्तभित...- VII. ii. 34
देखें- एतिस्तु III. 1. 109 देखें- ग्रसितस्कभित० VII. ii. 34
....स्तु... -III. ii. 182 स्तम्ब..-III. I. 13
देखें-दाम्नीo III. ii. 182 . देखें-स्तम्बकर्णयोः III. ii. 13
...स्तु... -III. iii. 27 . स्तम्ब..-III. 1. 24
देखें-दुस्तुनुवः III. iii. 27 देखें-स्तम्बशकतोः III. ii. 24
...स्तु... -VII. I. 13 स्तम्बकर्णयोः-III. 1. 13
देखें-कृस VII. ii. 13 स्तम्ब तथा कर्ण (सबन्त) उपपद रहते (क्रमशः रम तथा ...स्तु...-VIII. iii. 70 जप् धातु से अच् प्रत्यय होता है)।
देखें-सेवसित VIII. iii. 70
- स्तु...-VII. ii. 72. स्तम्बशकतो:-III. II. 24
देखें-स्तुसुधूभ्यः VII. ii. 72 ... स्तम्ब तथा शकृत् (कर्म) के उपपद रहते (कृज् धातु से ...स्त...-VII. III.95 इन् प्रत्यय होता है)।
देखें- तुरुस्तु0 VII. iii. 95 स्तम्ब = तृण,पास।
स्तुत्...-VIII. iii. 82 शकृत् = विष्ठा।
देखें- स्तुत्स्तोमसोमाः VIII. iii. 82 स्तम्बे-III. Iii. 3
स्तुत्स्तोमसोमा:- VIII. iii. 82 स्तम्ब शब्द उपपद रहते हुए (करण कारक में हन् धातु (अग्नि शब्द से उत्तरास्तत.स्तोम तथा सोम के (सकार से क प्रत्यय तथा अप् प्रत्यय भी होता है और अप्प्रत्यय को समास में मूर्धन्य आदेश होता है)। परे रहने पर हन् को धन आदेश भी हो जाता है)।
स्तुत...- VIII. iii. 105 ...स्तम्भु... -III.1.58.--
देखें-स्तुतस्तोमयो: VIII. ill. 105 देखें-स्तम्भु III.1.58
स्तुतस्तोमयो:-VIII. II. 105 स्तम्भु...- VIII. III. 116
(इण तथा कवर्ग से उत्तर) स्तुत तथा स्तोम के (स को देखें-स्तम्भुसिवुसहाम् VIII. II. 116
वेदविषय में कई आचार्यों के मत में मूर्धन्य आदेश होता स्तम्भुसिवुसहाम्-VIII. III. 116
स्तम्भु,पिवु तथा वह धातु के (सकार को चङ् परे रहते ...स्तुम् ... -III. 1.82 मूर्धन्य आदेश नहीं होता)।
देखें-स्तम्भुस्तुम्भु III. 1. 82