________________
सोमाश्वेन्द्रियविश्वदेव्यस्य
557
स्तनः
सोमाश्वेन्द्रियविश्वदेव्यस्य -VI. iii. 130
सोम, अश्व,इन्द्रिय,विश्वदेव्य-इन शब्दों को (मतुप् प्रत्यय परे रहते दीर्घ हो जाता है, मन्त्र विषय में)। सोमे-III. ii. 90
'सोम' (कर्म) उपपद रहते (षुञ् धातु से 'क्विप्' प्रत्यय होता है, भूतकाल में)। सोमे- VII. ii. 33
रतसब्द वदावषयम) सामवाच्य होने पर(निपातन किया जाता है)। ...सोमेश्य-v.iv. 125
देखें-सुहरितo V. iv. 125 ...सौ-I. iv. 19
देखें-तसौ I. iv. 19 सौ -VI.i. 162 (सप्तमीबहुवचन) सु के परे रहते (एक अच् वाले शब्द से उत्तर तृतीया विभक्ति से लेकर आगे की विभक्तियों को उदात्त होता है)। सौ - VI. iv. 13 . (सम्बुद्धिभिन्न) सु विभक्ति परे रहते (भी इन,हन, पूषन, तथा अर्थमन् अङ्गों की उपधा को दीर्घ होता है)। सौ - VII. I. 82
सु परे रहते (अनडुह् अङ्ग को नुम् आगम होता है)। सौ-VII. 1. 93 (सखि अङ्ग को सम्बुद्धिभिन्न) सु परे रहते (अनङ् आदेश होता है)। सौ--VII. 1. 94 'सु विभक्ति परे रहते (युष्मद, अस्मद अङ्ग के मपर्यन्त भाग को क्रमशः त्व तथा अह आदेश होते है)। सौ-VII. iii. 107
(त्यदादि अङ्गों के अनन्त्य तकार तथा दकार के स्थान म) सु विभक्ति परे रहते (सकारादेश होता है)। सी-VIII. 110
(इदम् के दकार के स्थान में यकार आदेश होता है) सु विभक्ति के परे रहते। सौवीर... - IV.1.75 देखें-सौवीरसाल्क IV.1.75
सौवीरसाल्वप्राक्षु - IV. ii. 75
(स्त्रीलिङ्गवाची) सौवीर, साल्व तथा पूर्वदेश अभिधेय होने पर (ड्यन्त, आबन्त प्रातिपदिकों से चातुरर्थिक अञ् प्रत्यय होता है)। सौराज्ये - VIII. ii. 14
(राजन्वान शब्द) सौराज्य = अच्छे राजा का कर्म गम्यमान होने पर (निपातन है)। ...स्कन्दाम-III. iv.56
देखें-विशिपतिपदि III. iv. 56 ...स्कन्दाम् -VII. iv. 84
देखें-वचुलंसु० VII. iv.84 स्कन्दि... -VI. iv. 31
देखें- स्कन्दिस्यन्दो: VI. iv. 31 स्कन्दिस्यन्दो:- VI. iv. 31
स्कन्द तथा स्यन्द् के (नकार का लोप क्त्वा प्रत्यय परे रहते नहीं होता)। स्कन्द-VIII. iii. 73
(वि उपसर्ग से उत्तर) स्कन्दिर धातु के (सकार को निष्ठा परे न हो तो विकल्प से मूर्धन्य आदेश होता है)। ...स्कभित..-VII. ii. 34
देखें- ग्रसितस्कभितo VII. il. 34 स्क माते:- VIII. iii. 76
(वि उपसर्ग से उत्तर) स्कन्भु धातु के (सकार को नित्य ही मूर्धन्य आदेश होता है)। ...स्कम्भु...-III. 1. 82
देखें-स्तम्भुस्तुम्भुo III.i. 82 ...स्कुञ्यः -III. 1.82 .
देखें-स्तम्भुस्तुम्भु III. 1. 82 ...स्कुम्भु...-III. 1.82
देखें-स्तम्भुस्तुम्भु III. 1.82 स्को : - VIII. ii. 29 (पद के अन्त में तथा झल परे रहते संयोग के आदि के) सकार तथा ककार का (लोप होता है)। स्तन: -VI. ii. 163
(संख्या शब्द से उत्तर) स्तन शब्द को (बहुव्रीहि समास में अन्तोदात्त होता है)।