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अनिती
अनुकरणम्
अनितौ-v.iv.57 (अव्यक्त शब्द का अनुकरण, जिसमें अर्धभाग दो अच् वाला हो, उससे कृ,भू तथा अस् के योग में डाच प्रत्यय होता है), यदि इतिशब्द परे न हो तो। अनित्यसमासे-VI.1.163
अनित्यसमास = नित्य अधिकार में कहे हए समास (कुगतिप्रादयः II. I. 19 आदि) से अन्यत्र (अन्तोदात्त एकाच उत्तरपद के अनन्तर तृतीयादि विभक्ति विकल्प से उदात्त होती है)। अनित्ये-III. 1. 127 ।
अनित्य अर्थ में (आनाय्य शब्द आपूर्वक नी धातु से ण्यत् प्रत्यय और आयादेश करके निपातन किया जाता
अनित्ये -v.iv. 31 नित्यधर्मरहित (वर्ण) अर्थ में वर्तमान (लोहित प्रातिप- दिक से भी स्वार्थ में कन् प्रत्यय होता है)। अनित्ये -VI. 1. 142
अनित्य विषय में (आश्चर्य शब्द में सट आगम का निपातन किया जाता है)। अनिदिताम् - VI. iv.24
इकार जिसका इत्सझक नहीं है.ऐसे (हलन्त) अङ्गों की (उपधा के नकार का लोप होता है; कित.डित प्रत्ययों के परे रहते)। अनिधाने -VI. 1. 192
नि उपसर्ग से उत्तर उत्तरपद को अन्तोदात्त होता है). प्रकाशन अर्थ में। अनिरवसितानाम् -II. iv. 10
अनिरवसित = अबहिष्कृत (शद्रवाची) शब्दों का (द्वन्द्र एकवद् होता है)। ....अनिरोधेषु-III.1.101
देखें- ग पणितव्या. III. 1. 101 अनिवसन्तः -VI. 1.84
(ग्राम शब्द उत्तरपद रहते.पूर्वपद को आधुदात्त होता है, यदि पूर्वपद) निवास करने वाले को न कहता हो तो। अनिष्ठा - VI. 1.46
(क्तान्त उत्तरपद रहते कर्मधारय समास में) अनिष्ठा = क्त,क्तवतु से भिन्न अन्त वाले (पूर्वपद को प्रकृतिस्वर हो जाता है)।
अनिष्ठायाम् - VIII. 1.73 (वि उपसर्ग से उत्तर स्कन्दिर धातु के सकार को) निष्ठा परे न हो तो (विकल्प से मूर्धन्य आदेश होता है)। अनीप्सितम् - I. iv. 50 (जिस प्रकार कर्ता का अत्यन्त ईप्सित = चाहा हुआ . . कारक क्रिया के साथ युक्त होता है,उसी प्रकार का का). न चाहा हुआ (कारक क्रिया के साथ युक्त हो तो उसकी कर्म संज्ञा होती है)। ...अनीयरः -III.1.96
देखें-तव्यत्तव्यानीयरः III.i.96 अनु...-I. iii. 21
देखें- अनुसम्परिभ्य: I. iii. 21 अनु...- I. iii. 79
देखें-अनुपराभ्याम् I. 1.79 . अनु...-I. iv. 41
देखें- अनुप्रतिगृण: I. iv.41 ...अनु...-I. iv. 48
देखें-उपान्वध्याइवस: I. iv. 48 ....अनु...-V. iv.75
देखें-प्रत्यन्वव०V.iv.75 अनु...-V.iv. 81
देखें- अन्ववतप्तात् V. iv.81 अनु...-VIII. iii. 72
देखें- अनुविपर्य० VIII. iii. 72 अनुः -1. iv. 83 - अनु शब्द (लक्षण द्योतित हो रहा हो तो कर्मप्रवचनीय
और निपातसंज्ञक होता है)। अनुः-II.1.14 .
(अनु शब्द जिसका समीपवाची हो, उस लक्षणवाची सुबन्त के साथ वह) अनु शब्द (विकल्प से समास को प्राप्त होता है और वह अव्ययीभाव समास होता है)। अनुक... -v.ii.74
देखें - अनुकाभिकाभीक: V. ii. 74 अनुकम्पायाम् -v.iii. 76,
अनुकम्पा अर्थात् कृपादृष्टि गम्यमान हो तो (प्रातिपदिक से तथा तिङन्त से यथाविहित प्रत्यय होते हैं)। अनुकरणम् -I. iv. 61
(इतिशब्द जिससे परे नहीं है,ऐसा) अनुकरणवाची शब्द (भी गति और निपातसंज्ञक होता है, क्रियायोग में)।