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________________ अनुकरणस्य अनुदात्तस्य अनुदात्त..- I.ii. 12 देखें- अनुदात्तडित I. 1. 12 अनुदात-I. 1.30 (उच्चारणस्थान के अधोभाग से उच्चारित अच् की) अनुदात्त संज्ञा होती है। अनुदात - I. I. 38 (देव तथा ब्रह्मन् शब्द को स्वरित के स्थान में )अनुदात्त होता है। - अनुदात्त -II. iv. 32 (अन्वादेश में वर्तमान इदम् के स्थान में)अनुदात्त(अश्' आदेश) होता है, (तृतीया आदि विभक्ति परे रहते)। अनुदात्तडितः - I.1.92 अनुदात्त जिसका इत्संज्ञक हो उस धातु से तथा डकार जिसका इत्सजक हो उस धातु से (आत्मनेपद होता है)। अनुदात्तम् -VI.1. 152 जिस एक पद में उदात्त या स्वरित विधान किया है,उसके एक अचको छोड़करशेषपद)अनुदात्त अच्वालाहोजाता ...अनुकरणस्य-VI.1.95 देखें- अव्यक्तानुकरणस्य VI.1.95 अनुकाभिकाभीक: - V. 1.74 'इच्छा करने वाला' अर्थ में) अनक. अभिक. तथा अभीक शब्दों का निपातन किया जाता है। ...अनुकामम्..- V. 1. 11 देखें- अवारपारात्यन्ता० V.ii. 11 अनुगवम् -V. iv. 83 अनुगव शब्द अच्अत्ययान्त निपातन किया जाता है, (लम्बाई अभिधेय हो तो)। अनुगादिनः-.iv. 13 अनुगादिन प्रातिपदिक से (स्वार्थ में ठक प्रत्यय होता है)। अनुगुः -V. 1. 15 (द्वितीयासमर्थ) अनुगुप्रातिपदिक से (पर्याप्त जाता है', अर्थ में ख प्रत्यय होता है)। अनुज्ञेषणायाम् - VIII. I. 43 अनुमति की इच्छा विषय में (ननु शब्द से युक्त तिडन्त को अनुदात्त नहीं होता)। अनुतापे-III. 1.65 पश्चात्ताप अर्थ में (तथा कर्मकर्ता में तप् धातु से उत्तर च्लि को चिण आदेश नहीं होता,त शब्द परे रहने पर)। ...अनुत्त... -VIII. 1.61 देखें-नसत्तनिक्त्ता०VIII. 1.61 अनुत्तमम् - VIII. I. 53 गत्यर्थक धातुओं के लोडन्त से युक्त उपसर्गसहित एवं) उत्तमपुरुषवर्जित (जो लोडन्त तिङन्त, उसे विकल्प करके अनुदात्त नहीं होता, यदि कारक सभी अन्य न हों तो)। अनुत्तरपदस्थस्य - VIII. ill. 45 " जो उत्तरपद में स्थित नहीं है. ऐसे (इस.उस) के (विसर्जनीयको समास विषय में नित्य ही षत्व होता है;कवर्ग.पवर्ग परे रहते)। अनुदके-III. ii. 58 उदक= पानी से भिन्न (सुबन्त)उपपद रहते (स्पृश धातु से क्विन् प्रत्यय होता है)। अनुदके-III. iii. 123 उदक विषय न हो तो (पुंल्लिग में उत् पूर्वक अच धातु से घञ् प्रत्ययान्त उदक शब्द निपातन किया जाता है; अधिकरण कारक में,संज्ञा विषय होने पर)। अनुदात्तम् - VI. 1. 180 (तासि प्रत्यय,अनुदात्तेत् धातु,ङित् धातु तथा उपदेश में जो अवर्णान्त- इनसे उत्तर लकार के स्थान में जो सार्वधातुक प्रत्यय, वे) अनुदात्त होते हैं; (एछ तथा इङ् धातु को छोड़कर)। अनुदात्तम् -VIII.1.3 (जिसकी आमेडित सजा होती है, वह) अनुदात्त (भी) होता है। अनुदात्तम् - VIII. 1. 18 (यहां से आगे जो कुछ भी कहेगें,वह पाद के आदि में न हो तो सारा) अनुदात्त होता है, (ऐसा जानना चाहिए। अनुदात्तम् - VIII. 1.67 (पूजनवाची शब्दों से उत्तर पजितवाची शब्दों को) अनुदात्त होता है। अनुदात्तम् - VIII. II. 100 (प्रश्नान्त तथा अभिपूजित में विधीयमान प्लुत को) अनुदात्त होता है। अनुदात्तस्य-VI.1.58 (उपदेश में) जो अनुदात्त (तथा ऋकार उपधा वाली धातु), उस को (विकल्प से अम् आगम होता है, अकित् झलादि प्रत्यय परे रहते)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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