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विकारः
...विद...
विज-I. 1.2
'ओविजी भयसञ्चलनयोः' धातु से परे (इडादि प्रत्यय डित्वत् होते हैं)। विजायते-v.1. 12
(द्वितीयासमर्थ समांसमाम प्रातिपदिक से) 'बच्चा देती है' अर्थ में (ख प्रत्यय होता है)। विट्-III. 1.67 -
सुबन्त उपपद रहते जन,सन,खन,क्रम और गम् धातुओं से वैदिक प्रयोग में विट प्रत्यय होता है।
विकारः -IV. iii. 131
(षष्ठीसमर्थ प्रातिपदिक से) विकार अर्थ में (यथाविहित प्रत्यय होता है)। ...विकारे -VI. iii. 38
देखें- अरक्तविकारे VI. ill. 38 विकुशमिपरिभ्यः -VIII. iii. 96
वि,कु,शमि तथा परि से उत्तर (स्थल शब्द के सकार को मूर्धन्य आदेश होता है)। विकृतः - V. 1. 12
(चतुर्थीसमर्थ) विकृतिवाची प्रातिपदिक से (उपादानकारण अभिधेय हो तो 'हित' अर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है, यदि वह उपादानकारण अपने उत्तरावस्थान्तर विकृति के लिये हो तो)। विक्रियः -III. ii. 83
वि पूर्वक क्रीज्' धातु से (कर्म उपपद रहते 'इनि' प्रत्यय होता है, भूतकाल में)। विख्ये-III. iv. 11
(दृशे) विख्ये शब्द (भी वेदविषय में तमन के अर्थ में) निपातन (किये जाते हैं)। ...विगणन... -I. iii. 36
देखें - सम्माननोत्सा I. iii. 36 ...विचति... - VI. i. 16
देखें-हिज्या० VI. 1. 16 ....विचतुर...-.iv.77
देखें - अचतुरविचतुर० V. iv. 77 विचार्यमाणानाम् - VIII. ii. 97
विचार्यमाण = जिसके बारे में विचार करना हो, उस
पदार्थ को विषय बनाने वाले वाक्य की (टि को प्लुत . उदात्त होता है)। .....विच्छ... -III. iii. 90
देखें - यजयाच III. iii. 90 ....विच्छि... -III. I. 28
देखें- गुपूधूपविच्छि० III. 1. 28 विच -III. 1.73 . (यज्' धातु से वेदविषय में) विच प्रत्यय होता है।
देखें-विड्वनो: VI. iv. 41 विड्वनो: -VI. iv. 41
विट् तथा वन् प्रत्यय परे रहते (अनुनासिकान्त अङ्गों को आकारादेश होता है)। ...वितस्त्योः - VI. II. 31 .
देखें-दिष्टिवितस्त्योः VI. 1.31 क्ति - V.il. 27
(तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से) 'ज्ञात' अर्थ में (चचप और चणप् प्रत्यय होते हैं)। क्तिः -VIII. ii. 58
वित्त शब्द में विद्ल लाभे धातु से उत्तर क्त प्रत्यय के नत्व का अभाव, भोग तथा प्रत्यय अभिधेय होने पर निपातित है। ...विद...-I.ii.8
देखें - रुदक्दिमुषग्रहिस्वपिप्रच्छ: I. ii. 8 ...विद.. -III. 1. 38
देखें-उवविदजागृभ्यः III. I. 38 ...विद... -III. ii.61
देखें-सत्सू० III. 1.61 ...विद... -III. iii.96
देखें-वृषेष III. iii. 96 ...विद.. -III. iii.99
देखें - समजनिषद III. 1.99 ....विद... -VII. II. 68
देखें - गमहन० VII. II. 68