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...वासिषु
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...विकस्ताः
...वासिषु -VI. iii. 17
देखें-शयवासवासिषु VI. iii. 17 वासी-IV. iv. 107
(सप्तमीसमर्थ समानतीर्थ प्रातिपदिक से) रहने वाला अर्थ में (यत् प्रत्यय होता है)। वासुदेव... - IV. iii. 98 .
देखें - वासुदेवार्जुनाभ्याम् IV. ii. 98 वासुदेवार्जुनाभ्याम् – IV. iii. 98
(प्रथमासमर्थ भक्तिसमानाधिकरणवाची) वासुदेव तथा अर्जुन शब्दों से (षष्ठ्यर्थ में वुन् प्रत्यय होता है)। ...वास्तोष्पति... - IV. ii. 31
देखें - द्यावापृथिवीशुना० IV.ii. 31 ...वास्त्व... - VI. iv. 175
देखें-ऋव्यवास्त्व्य.VI. iv. 175 ...वास्त्व्य .. -VI. iv. 175
देखें-ऋव्यवास्त्व्य० VI. iv 175 वाहः - IV. 1.61
वाहन्त (अनुपसर्जन) प्रातिपदिक से (स्त्रीलिङ्ग में वेदविषय में ङीष् प्रत्यय होता है)। वाह - VI. iv. 132
(भसज्ञक वाह अन्तवाले अङ्ग को (सम्प्रसारणसञक ऊठ होता है)। ...वाहन... -VI. iii.57
देखें-पेवास. VI. iii. 57 वाहनम् - VIII. iv.8
(आहितवाची पूर्वपदस्थ निमित्त से उत्तर) वाहन शब्द के (नकार को णकारादेश होता है)। वाहीकग्रामेभ्यः - IV.ii. 116
वाहीक देश के जो ग्राम,तद्वाची (वृद्धसंज्ञक) प्रातिपदिक से (भी शैषिक ठञ् और जिठ् प्रत्यय होते हैं)। वाहीकेषु - V. iii. 114
वाहीक देशविषय में (शस्त्र से जीविका कमाने वाले पुरुषों के समूहवाची प्रातिपदिकों से स्वार्थ में ज्यट् प्रत्यय होता है, ब्राह्मण और राजन्य को छोड़कर)। ...वि.. -I. iii. 18
देखें-परिव्यवेण्यः 11.18
वि...-I. iii. 19
देखें-विपराभ्याम् I. iii. 19 वि... -I. iii. 83
देखें - व्याड्यरिभ्य: I. 11. 83 वि... -II. iii. 57
देखें - व्यवहपणोः II. iii. 57 वि... -III. ii. 180
देखें-विप्रसम्भ्यः III. ii. 180 वि... -III. iii. 39
देखें-व्यूपयोः III. iii. 39 ...वि... -III. iii. 82
देखें- अयोविद्रुषु III. iii. 82 वि... - V.ii. 27
देखें-विनभ्याम् V.ii. 27 ...वि... - VI. iii. 109
देखें-संख्याविसाय. VI. iii. 109 ...वि... -VIII. iii. 72
देखें-अनुविपर्य० VIII. iii. 72 ...वि... - VIII. iii. 88
देखें -सुविनिर्दुर्थ्य: VIII. iii. 88 वि... - VIII. iii. 96.
देखें-विकुशमि० VIII. iii.96 ...वि...-VIII. iii. 119
देखें-निव्यभिभ्य: VIII. iii. 119 विकर्ण... -IV.i. 117
देखें-विकर्णशङ्ग IV.i. 117. विकर्ण... - IV. 1. 124
देखें-विकर्णकुषीतकात् IV.i. 124 विकर्णकुषीतकात् – IV. 1. 124
विकर्ण तथा कुषीतक शब्दों से (काश्यप अपत्यविशेष को कहना हो तो ढक् प्रत्यय होता है)।
विकर्ण = एक कुरुवंशी राजकुमार। विकर्णशुङ्गच्छगलात् - IV. 1. 117
विकर्ण,शङ्ग,छगल शब्दों से (यथासङ्ख्य करके वत्स, भरद्वाज और अत्रि अपत्य-विशेष कहना हो तो अण् प्रत्यय होता है)। ...विकस्ताः -VII. 1. 34
देखें- ग्रसितस्कभित० VII. 1. 34