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वरुणस्य
वयः-VI.i.37
(लिट् लकार के परे रहते वय् धातु के (यकार को सम्प्रसारण नहीं होता है)। ...वयस्... - IV. iv.91
देखें-नौवयोधर्म IV. iv. 91 ...वयस्... - VI. iii. 64 'देखें-ज्योतिर्जनपद० VI. iii. 64 वयसि-III. ii. 10
आय गम्यमान होने पर (भी कर्म उपपद रहते हब धातु से 'अच्' प्रत्यय होता है)। वयसि -IV.i. 20
(प्रथम) अवस्था में वर्तमान (अनुपसर्जन) अदन्त प्राति- पदिकों से स्त्रीलिङ्ग में डीप् प्रत्यय होता है)।
वयसि -v.i. 80 . (द्वितीयासमर्थ कालवाची मास प्रातिपदिक से) अवस्था
गम्यमान होने पर(हो चुका' अर्थ में यत् और खञ् प्रत्यय होते है)।
. वयसि -v.ii. 130
(पूरणप्रत्ययान्त शब्दों से) अवस्था गम्यमान हो तो (मत्वर्थ' में इनि प्रत्यय होता है)। वयसि -V.iv. 141
(सङ्ख्यापूर्ववाले तथा सु-पूर्व वाले दन्त शब्द को समा'सान्त दत आदेश होता है; (बहुव्रीहि समास में)। वयसि - VI. 1.95
अवस्था गम्यमान हो तो (कुमारी शब्द उपपद रहते पूर्वपद् को अन्तोदात्त होता है)। वयस्यासु - IV. iv. 127
(उपधानमन्त्र-समानाधिकरण प्रथमासमर्थ मतुबन्त मूर्धन् प्रातिपदिक से) वयस्या = वयस् शब्द वाला मन्त्र उपधा में मन्त्र है जिनका, ऐसे (ईटों) के अभिधेय होने पर (मतुप् प्रत्यय होता है तथा प्रकृत्यन्तर्गत जो मतुप,उसका लुक् हो जाता है)। ...वयि... -VI.i. 16
देखें- ग्रहिज्या० VI. 1. 16 वयिः-II. iv.41 (वे के स्थान में लिट् आर्धधातुक परे रहते) वयि आदेश होता है।
...वयोवचन...-III. ii. 129
देखें-ताच्छील्यवयोवचन III. 1. 129 ...वयोवचन...-v.i. 128
देखें-प्राणभृज्जातिवयो० V. 1. 128 ...वयौ...- VII. ii. 93
देखें- यूयवयौ VII. ii. 93 ...वर..-VI. iv. 157
देखें-प्रस्थस्फ० VI. iv. 157 वरच-III. ii. 175
(ष्ठा,ईश,भास,पिस,कस्- इन धातुओं से तच्छीलादि कर्ता हों. तो वर्तमान काल में) वरच प्रत्यय होता है। वरणादिभ्य:- IV. ii. 81
वरणादि प्रातिपदिकों से (विहित जो चातुरर्थिक प्रत्यय, उसका भी लुप होता है)। ...वरतन्तु...-IV. iii. 102
देखें- तित्तिरिवरतन्तMili 102 ...वरात्..- VI. iii. 15 .
देखें-वर्षक्षरशरवरात् VI. iii. 15 ...वराह... - IV. ii. 79
देखें- अरीहणकृशाश्व० IV. ii. 79 ...वराहेभ्यः - V. iv. 145
देखें- अग्रान्त० V. iv. 145 ...वरिवस्... - III. 1. 19
देखें-नमोवरिवश्विाड III.i. 19 वरीवृजत् - VII. iv. 65 वरीवृजत शब्द (वेद-विषय में) निपातन किया जाता
...वरुण... - IV.i.48
देखें-इन्द्रवरुणभव IV.i. 48 ...वरुण... - V. iii. 84
देखें-शेवलसुपरि० v. iii. 84 ...वरुणयो: - VI. iii. 26
देखें-सोमवरुणयो: VI. iii. 26 वरुणस्य-VII. iii. 23
(दीर्घ से उत्तर भी) वरुण शब्द के (अचों में आदि अच को वृद्धि नहीं होती)।