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वन...
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वन... -VI. iii. 116
देखें-वनगिर्यो: VI. iii. 116 वनः -IV.i.7
वन अन्त वाले प्रातिपदिकों से (स्त्रीलिङ्ग में डीप प्रत्यय होता है, तथा उस वनन्त प्रातिपदिक को रेफ अन्तादेश भी होता है)। वनगियों: - VI. iii. 116
वन तथा गिरि शब्द उत्तरपद रहते (यथासंख्य करके कोटरादि एवं किंशुलकादि गणपठित शब्दों को सञ्जाविषय में दीर्घ होता है)। ...वनति... - VI. iv. 37
देखें- अनुदात्तोपदेशवनति VI. iv. 37 वनम् - VI. ii. 136
वनवाची (उत्तरपद कुण्ड) शब्द को (तत्पुरुष समास में आधुदात्त होता है)। वनम् -VI. ii. 178
(समासमात्र में उपसर्ग से उत्तर उत्तरपद) वन शब्द को (अन्तोदात्त होता है)। वनम् - VIII. iv. 44
(पुरगा, मिश्रका, सिध्रका, शारिका, कोटरा, अग्रे-इन शब्दों से उत्तर) वन शब्द के (नकार को णकारादेश होता है, सञ्जाविषय में)। वनसनरक्षिमथाम् - III. ii. 27
(वेदविषय में) वन, षण, रक्ष,मथ - इन धातुओं से (कर्म उपपद रहते इन् प्रत्यय होता है)। ...वनस्पतिभ्यः -VIII. iv.6
देखें- ओषधिवनस्पतिभ्य: VIII. iv. 6 वनस्पत्यादिषु - VI. ii. 140
वनस्पति आदि समस्त शब्दों में (दोनों = पूर्व तथा उत्तरपद को एक साथ प्रकृतिस्वर होता है)। ...वनिप: -III. ii.74
देखें-मनिन्क्वनिप् III. ii. 74 ...वनो: -VI. iv.41
देखें-विड्वनो: VI. iv. 41 ...वन्द... -VI. I. 208
देखें-ईडवन्दOVI.1 208
वन्दिते - V. iv. 157
'पूजित' अर्थ में (वर्तमान प्रात-शब्दान्त बहुव्रीहि से समासान्त कप् प्रत्यय नहीं होता है)। ...वन्द्यो : -III. ii. 173
देखें-शृवन्द्योः III. ii. 173 ...वपति... - VIII. iv. 17
देखें- गदनदO VIII. iv.17 ...वपि... -III. 1. 126
देखें-आसुयुवपि III.I. 126 वप्रत्यये - VI. ii. 52
(इक अन्त में नहीं है जिसके, ऐसे गतिसञक को) वप्रत्ययान्त (अञ्जु धातु) के परे रहते (प्रकृतिस्वर होता है)। . वप्रत्यये - VI. iii. 91
(विष्वग् तथा देव शब्दों के तथा सर्वनाम शब्दों के टिभाग को अद्रि आदेश होता है) वप्रत्ययान्त (अनु धातु) के परे रहते।
विष्वग् = सर्वव्यापक भागों में अलग-अलग करने वाला। ...वम.. -III. ii. 157
देखें -जिदृक्षिIII. ii. 157 वमन्तात् - VI. iv. 137
वकार तथा मकार अन्त में है जिसके, ऐसे (संयोग) से उत्तर (तदन्त भसज्ज्ञक अन् के अकार का लोप नहीं होता)। वमिति -VII. ii. 34 . वमिति शब्द वेदविषय में इडागमयुक्त निपातित होता
वमो: - VIII. iv. 22
(उपसर्ग में स्थित निमित्त से उत्तर अकार पूर्ववाले हन धातु के नकार को विकल्प से) व तथा म परे रहते (णकार आदेश होता है)। वय: - IV. iii. 159
(षष्ठीसमर्थ द्र प्रातिपदिक से मानरूपी विकार अभिधेय हो तो) वय प्रत्यय होता है। द्रु = लकड़ी, वृक्ष,शाखा।