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लोमादिपामादिपिच्छादिभ्यः
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लोमादिपामादिपिच्छादिभ्यः -- V. ii. 100 .
लोमादि, पामादि तथा पिच्छादि-इन तीन गणपठित प्रातिपदिकों से (मत्वर्थ में यथासंख्य करके विकल्प से श,न तथा इलच् प्रत्यय होते है)। ...लोग्न: - V.iv.75
देखें - सामलोम्न: V. iv.75 लोग्न: -V.iv. 117
(अन्तर् तथा बहिस् शब्दों से उत्तर भी) जो लोमन् शब्द, तदन्त (बहुव्रीहि) से (समासान्त अप् प्रत्यय होता है)। लोहितात् - V. iv. 30
(मणि-विशेष में वर्तमान) लोहित प्रातिपदिक से (कन् प्रत्यय होता है, स्वार्थ में)। लोहितादि....-III. i. 13
देखें-लोहितादिडाज्य: III. I. 13 लोहितादि...- IV. 1. 18
देखें - लोहितादिकतन्तेभ्यः IV. 1. 18 लोहितादिकतन्तेभ्यः - IV.i. 18
(अनुपसर्जन यजन्त) लोहित से लेकर कत पर्यन्त प्रातिपदिकों से (स्त्रीलिङ्ग विषय में ष्फ प्रत्यय होता है; सब आचार्यों के मत में और वह तद्धितसंज्ञक होता है)। लोहितादिडाज्यः - III. 1. 13
(अळ्यन्त) लोहित आदि तथा डाच्यत्ययान्त शब्दों से (भवति अर्थ में क्यष् प्रत्यय होता है)। ल्यप् - II. iv. 36
(अद् को जग्ध् आदेश होता है) ल्यप् परे रहते (तथा तकारादि कित् आर्धधातुक के परे रहते)। ल्यप् -VII. 1.37 - (नञ् से भिन्न पूर्व अवयव है जिसमें, ऐसे समास में क्त्वा के स्थान में) ल्यप आदेश होता है। ल्यपि-VI. 1.40
ल्यप् के परे रहते (भी वेञ् धातु का सम्प्रसारण नहीं होता है)। ल्यपि -VI.1.49
(मीज,डुमिञ् तथा दीङ् धातुओं को) ल्यप् के परे रहते (तथा एच के विषय में भी उपदेश अवस्था में ही आत्व हो जाता है)। ल्यपि - VI. iv.38
(अनुदात्तोपदेश,वनति तथा तनोति आदि अङ्गों के अनुनासिक का लोप) ल्यप् परे रहते विकल्प करके होता है। ल्यपि - VI. iv. 56
(लघु है पूर्व में जिससे, ऐसे वर्ण से उत्तर णि के स्थान ' ' में) ल्यप् परे रहते (अयादेश हो जाता है)। ल्यपि -VI. iv. 69. .
(घु, मा, स्था, गा, पा, हा तथा सा अङ्गों को) ल्यप् परे. रहते (जो कुछ कहा है, वह नहीं होता)। .. ल्यु...-III. 1. 134
देखें - ल्युणिन्यचः III. 1. 134 ल्युट -III. iii. 115 (नपुंसकलिङ्ग भाव में धातु से) ल्युट् प्रत्यय (भी) होता
...ल्युटः-III. iii. 111 .
देखें - कृत्यल्युटः III. iii. 111. ल्युणिन्यचः - III. I. 134 (नन्द्यादि, ग्रह्यादि तथा पचादि धातुओं से यथासंख्य करके) ल्यु,णिनि तथा अच् प्रत्यय होते हैं। खान्तस्य -VII. ii. 2 . (अकार के समीप वाले) रेफान्त तथा लकारान्त अङ्ग के (अकार के स्थान में ही वृद्धि होती है.परस्मैपदपरक सिच् परे हो तो)। ...ल्कः -III. 1. 149 देखें-प्रसल्वः III.i. 149