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क-VII. iii. 41 (स्फायी वृद्धौ' अङ्ग को णि परे रहते) वकारादेश होता
-प्रत्याहारसूत्र XI
आचार्य पाणिनि द्वारा अपने ग्यारहवें प्रत्याहारसूत्र में इत्सद्धार्थ पठित वर्ण। व... - VI.1.64 . देखें-व्यो: VI. 1.64 ... -VIII. 1. 18
देखें-व्योः VIII. 1. 18 व-प्रत्याहारसूत्र v
आचार्य पाणिनि द्वारा अपने पञ्चम प्रत्याहारसूत्र में पठित तृतीय वर्ण।
पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी के आदि में पठित वर्णमाला का बारहवां वर्ण। ...... -III. iv.82
देखें-णलतुसुस्० III. iv. 82 ६.. -III. iv.91 .
देखें-वामौ III. iv.91 - व..-VI. iv. 137
देखें-वमौ VI. iv. 137 व..-VIII. iv. 22
देखें-बमो: VIII. in 22 4-v.ii.40 "(प्रथमासमर्थ परिमाणसमानाधिकरणवाची किम् तथा इदम् प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में वतुप् प्रत्यय होता है
और उस वतुप के) वकार के स्थान में (घकार आदेश हो जाता है)। 4-v.ii. 109
(केश प्रातिपदिक से मत्वर्थ में विकल्प से) व प्रत्यय होता है।
-VI.1. 38 . (इस वय के यकार को कित लिट प्रत्यय के परे रहते विकल्प से) वकारादेश (भी) हो जाता है। 4-VII. III. 38 (कंपाना' अर्थ में वर्तमान) वा धातु को (णि परे रहते बुक आगम होता है)।
क-VIII. ii.9
(यकारान्त एवं अवर्णान्त तथा मकार एवं अवर्ण उपधावाले प्रातिपदिक से उत्तर मतुप को) वकारादेश होता है, किन्तु यवादि शब्दों से उत्तर मतुप को नहीं होता)। २-VIII. ii. 52
'डुपचष् पाके' धातु से उत्तर निष्ठा के तकार को) वकारादेश होता है। क-VIII. iii. 33
(मय प्रत्याहार से उत्तर उ को अच् परे रहते विकल्प करके) वकारादेश होता है। ...वक्ति... -III. . 52
देखें-अस्यतिवक्ति III. I. 52 ...वक्त्र... -IV. 1. 125 - देखें-कच्छाग्नि IV.ii. 125 व -VII. iii. 67
(शब्द की सजा न हो तो) वच् अङ्ग को (ण्य परे रहते कवर्गादेश नहीं होता)। वचः-VII. iv. 20
वच् अङ्ग को (अङ् परे रहते उम् आगम होता है)। ...वचन... -VI. iii. 84
देखें-ज्योतिर्जनपद० VI. iii. 84 ...क्वनमात्रे -II. iii. 46 . .
देखें - प्रातिपदिकार्थलिग II. I. 46 ...वचने-I.ii. 51
देखें- व्यक्तिवचने I. ii. 51 वचि... -VI.i. 15
देखें-वचिस्वपियजादीनाम् VI. I. 15 वचिः -II. iv.53 (बूज को आर्धधातुक के विषय में) वचि आदेश होता