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लोमादि....
लोपः - VI. iv. 107
पृतना= सेना, युद्ध। असंयोगपूर्व जो उकार, तदन्त इस प्रत्यय का भी लोपः -VII. iv.50 विकल्प से लोप होता है,मकारादि तथा वकारादि प्रत्ययों
(तास तथा अस् धातु के सकार का सकारादि आर्धधाके परे रहते।
तुक के परे रहते) लोप होता है। लोपः -VI. iv. 118
लोप: - VII. iv. 58 '(ओहाक् अङ्ग का) लोप होता है; (यकारादि कित्, ङित्
(यहाँ सन् परे रहते जो कार्य कहा है, अर्थात् जो इस्, सार्वधातुक परे रहते)।
ईत का विधान किया है, उनके अभ्यास का) लोप होता लोप: - VI. iv. 147 (कद्र शब्द को छोड़कर जो उवर्णान्त भसज्जक अङ्ग
लोप - VIII. II. 23 उसका ढ तद्धित प्रत्यय परे रहते) लोप होता है। लोप: - VI. in. 158
(संयोग अन्तवाले पद का) लोप होता है। (बहु शब्द से उत्तर इष्ठन्, इमनिच् तथा ईयसुन् का) लोप: - VIII. Iii. 19 लोप होता है (और उस बहु के स्थान में भ आदेश भी। (अवर्ण पूर्व वाले पदान्त यकार, वकार का शाकल्य ' होता है)।
आचार्य के मत में) लोप होता है। लोप-VII.1.41
लोप: - VIII. IN.63 (वेद-विषय में आत्मनेपद में वर्तमान तकार का) लोप
(हल से उत्तर यम् का यम् परे रहते विकल्प से) लोप हो जाता है।
होता है। लोप - VII. I. 88
लोपे - VI. 1. 130 (पथिन्, मथिन् तथा ऋभुक्षिन् भसञक अङ्गों के टि भाग का) लोप होता है।
(स्यः के सु का लोप होता है अच् परे रहते, यदि) लोप लोप-VII. 1. 90
होने पर (पाद की पूर्ति हो रही हो)। ' (शेष विभक्ति के परे रहते युष्मद, अस्मद् अङ्ग का) लोपे - VIII. 1. 45 लोप होता है।
(किम् शब्द का) लोप होने पर (क्रिया के प्रश्न में अनुलोप - VII. II. 113
पसर्ग तथा अप्रतिषिद्ध तिङ्को विकल्प करके अनुदात्त (ककाररहित इदम् शब्द के इद् भाग का हलादि नहीं होता। विभक्ति परे रहते) लोप होता है।
...लोम...-III. 1. 25 लोपः -VII. iii. 70
देखें- सत्यापपाशo III. 1. 25 (घुसज्ञक अङ्ग का लेट् परे रहते विकल्प से) लोप होता ....लोम...- IV. iv. 28
देखें - ईपलोमकूलम् IV. iv. 28 लोए - VII. iv. 4
लोमसु- VII. II. 29 (पा पाने' अङ्ग की उपधा का चङ्परक णि परे रहते) — लोम विषय में (हष् धातु को निष्ठा परे रहते इट् आगम लोप होता है (तथा अभ्यास को ईकारादेश होता है)। विकल्प से नहीं होता है)। लोप - VII. iv. 39
लोमादि.... - V. 1. 100 (कवि, अध्वर, पृतना- इन अङ्गों का) लोप होता है; देखें - लोमादिपामादि० V. 1. 100 (क्यच् परे रहते,पादबद्धमन्त्र के विषय में)।