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रुदः • VII. iii. 98
रुदिर (इत्यादि पाँच) धातुओं से उत्तर ( भी हलादि अपृक्त सार्वधातुक को ईट् आगम होता है ) ।
रुदादिभ्यः - VII. ii. 76
रुदादि (पाँच) धातुओं से उत्तर (वलादि सार्वधातुक को इट् आगम होता है)।
.. रुद्र... - IV. 1. 48
देखें - इन्द्रवरुणभव० IV. 1. 48
... रुद्र... - VI. ii. 142
देखें- अपृथिवीरुद्र० VI. 1. 142
... रुघ... - IH. iv. 49
देखें - उपपीडरुधकर्षः III. Iv. 49 रुधः - III. 1. 64
आवरणार्थक रुधिर् धातु से उत्तर (चिल के स्थान में चिण आदेश नहीं होता, कर्मकर्तृवाची 'त' शब्द परे रहते) ।
रुथादिभ्यः
III. 1. 78
रुधादि धातुओं से उत्तर (श्नम् प्रत्यय होता है, कर्तृवाची सार्वधातुक परे रहने पर) ।
सप्रमुवोः
III. iii.50
(आङ् पूर्वक) रु तथा प्लु धातुओं से (कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में विकल्प से घञ् प्रत्यय होता है)।
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रुमण्वत् - VIII. ii. 12
रुमण्वत् शब्द का निपातन किया जाता है।
रुव:
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III. iii. 22
(उपसर्ग उपपद रहने पर) रु धातु से (घञ् प्रत्यय होता है, कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में)।
...रुष... - VII. ii. 48
देखें - इषसह० VII. ii. 48
रुषि... - VII. ii. 28
देखें- रुष्यमत्वरo VII. 1. 28 रुय्यमत्वरसंघुषास्वनाम् VII. II. 28
रूषि, अम, त्वर, सम् पूर्वक घुष तथा आहपूर्वक स्वन् अङ्ग को (निष्ठा परे रहते विकल्प से इट् आगम नहीं होता) ।
443
... रुह... - III. iv. 72
देखें - गत्यर्थाकर्मक० III. Iv. 72
रुहः - VII. iii. 43
रुह् अङ्ग को (विकल्प से णि परे रहते णकारादेश होता
है) ।
III. i. 59
...रुहिभ्यः देखें - कृमृह० III. 1. 59 ..रुहो: - V. iv. 45 देखें- अहीयरुहो Viv. 45
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....रूक्षेषु- - III. iv. 35
देखें - शुष्कचूर्णरूक्षेषु III. iv. 35
... रूप... - III. 1. 25
देखें - सत्यापपाशरूप० III. 1. 25
... रूप... - VI. iii. 42
देखें - घरूपo VI. iii. 42
...रूप... - VI. iii. 84
देखें- ज्योतिर्जनपद० VI. III. 84
....रूप्योत्तरपदात्
रूपप् - V. iii. 66
(प्रशंसा - विशिष्ट अर्थ में (वर्तमान प्रातिपदिक तथा तिडन्त से स्वार्थ में) रूपप् प्रत्यय होता है।
रूपम् - I. 1. 67
(इस व्याकरणशास्त्र में शब्द के अपने) स्वरूप का (महण होता है. उसके अर्थ या पर्यायवाची शब्दों का नहीं, शब्दसंज्ञा को छोड़कर) ।
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रूपात् - V. ii. 120
(आहत और प्रशंसा अर्थों में वर्तमान रूप प्रातिपदिक से (मत्वर्थ में यप् प्रत्यय होता है ) ।
रूप्य - V. iii. 54
(भूतपूर्व' अर्थ में षष्ठीविभक्त्यन्त प्रातिपदिक से) रूप्य प्रत्यय (और चरट् प्रत्यय होते हैं) ।
रूप्यः
IV. iii. 81
(पञ्चमीसमर्थ हेतु तथा मनुष्यवाची प्रातिपदिकों से आगत अर्थ में विकल्प से) रूप्य प्रत्यय होता है। .... रूप्योत्तरपदात् - IV. 1. 105
देखें - तीररूप्योत्तरo IV. ii. 105