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रे-VI. iv.76
...रोचनात् -IV.ii.2 (इरे के स्थान में वेदविषय में बहुल करके) रे आदेश देखें - लाक्षारोचनात् IV. ii. 2 होता है।
रोणी - IV. 1.77 रेवती... - IV. iv. 122
रोणी तथा रोणी अन्तवाले प्रातिपदिक से (चातरर्थिक देखें- रेवतीजगतीहo IV. iv. 122
अण् प्रत्यय होता है)। रेवतीजगतीहविष्याभ्यः - IV. iv. 122
रोपधयो: - VI. iv. 47 (षष्ठीसमर्थ) रेवती,जगती तथा हविष्या प्रातिपदिकों से
(प्रस्ज् धातु के) रेफ तथा उपधा के स्थान में (विकल्प (प्रशस्य अर्थ में वैदिक प्रयोग में यत् प्रत्यय होता है)। सेरम् आगम होता है, आर्धधातुक परे रहने पर)। रेवत्यादिश्य-V.i. 146 रेवती आदि शब्दों से (अपत्य अर्थ में ठक् प्रत्यय होता
रोपधेतोः - IV. ii. 122
(प्राग्देशवाची) रेफ उपधावाले तथा ईकारान्त (वृद्धरैवतिकादिभ्यः - IV. iil. 130
संज्ञक) प्रातिपदिकों से (शैषिक वुञ् प्रत्यय होता है)। (षष्ठीसमर्थ) रैवतिकादि प्रातिपदिकों से (इदम्' अर्थ ।
'अर्थ रोमन्थ..-III.i. 15 में छ प्रत्यय होता है)।
देखें-रोमन्थतपोभ्याम् III.i. 15 रो: -VI. 1. 109
रोमन्थतपोभ्याम् - III.i. 15 (अप्लुत अकार से उत्तर अप्लत अकार परे रहते) रु के ।
सोनस रोमन्थ तथा तप (कर्म) से (यथासंख्य करके वर्तन और . (रेफ को उकार आदेश होता है, संहिता के विषय में)। चरण अर्थ में क्यङ् प्रत्यय होता है)। रोग... -VIII. Iti. 16
रोहिण्यै -III. iv. 10 रु के रेफ को सुप् परे रहते विसर्जनीय आदेश होता (प्रय), रोहिष्य (तथा अव्यथिष्यै) शब्द (वेदविषय में
तुमर्थ में निपातन किये जाते हैं)। रोग..- IV. iii. 13
......... - VI. I. 165 देखें-रोगातपयोः IV. iii. 13
देखें-अडिदम् VI.i. 165 रोगाख्यायाम् -III. 1. 198
..-II. iv.85 रोगविशेष की संज्ञा में (धातु से स्त्रीलिङ्ग में ण्वुल प्रत्यय देखें-डारौरस II. iv. 85 बहुल करके होता है)।
...रौरव... -VI. 1.38 रोगात् - . iv.49
देखें-व्रीह्यपराहण. VI. ii. 38 (चिकित्सा' गम्यमान हो तो रोगवाची शब्द से परे(भी वो: - VIII. 1.76 जो षष्ठी, तदन्त प्रातिपदिक से विकल्प से तसि प्रत्यय रेफान्त तथा वकारान्त जो (धातु पद) उसकी (उपधा इक होता है)।
को दीर्घ होता है)। रोगातपयोः - IV. ii. 13
हिल -V. iii. 16 (कालविशेषवाची शरत् शब्द से) रोग तथा आतप (सप्तम्यन्त इदम् प्रातिपदिक से) हिल् प्रत्यय होता है। अभिधेय हो तो (ठ प्रत्यय विकल्प से होता है)।
हिल् - V. iii. 21 रोगे -v.ii. 81
(सप्तम्यन्त किम्, सर्वनाम और बहु प्रातिपदिकों से) (कालवाची तथा प्रयोजनवाची प्रातिपदिकों से) 'रोग' हिल प्रत्यय (विकल्प से) होता है; (अनद्यतन कालविशेष अभिधेय हो तो (कन् प्रत्यय होता है)।
को कहना हो तो)। ...रोगेषु-VI. iii. 50
. ...हिलौ-v.ii. 20 देखें-शोकष्योगेषु VI. 11. 50
देखें-दाहिलो V. 1. 20