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अनजः
अन् - V. 1.48
(भाग अर्थ में वर्तमान परणार्थक तीयप्रत्ययान्त प्रातिपदिकों से स्वार्थ में) अन् प्रत्यय होता है। अन्...-v.iv. 103 देखें-अनसन्तात् V. iv. 103 अन् -VI. ii. 161 देखें- तन्नन् VI. ii. 161 अन् - VI. iv. 167
(भसञ्जक)अन् अन्तवाले अङ्ग को (अण् परे रहते प्रकृतिभाव हो जाता है)। अन् - VII. ii. 112 (ककार से रहित इदम् शब्द के इद् भाग को ) अन् आदेश होता है, (आप् विभक्ति परे रहते)। अन...-VII.i.1
देखें- अनाको VII. I. 1.
अनः - IV.1.12 .. (बहुव्रीहि समास में) जो अन्नन्त प्रातिपदिक. उससे (स्त्रीलिंग में डीप् प्रत्यय नहीं होता)। अनः - IV.i. 28
अन्नत जो (उपधालोपी बहुव्रीहि समास), उससे (स्त्रीलिंग में विकल्प से ङीप् प्रत्यय होता है)। अनः -V. iv. 108
(अव्ययीभाव समास में वर्तमान) अनन्त प्रातिपदिक से (भी समासान्त टच् प्रत्यय होता है)।
अन -VI. ii. 150 ' (भाव तथा कर्मवाची) अन् प्रत्ययान्त उत्तरपद को (कारक से उत्तर अन्तोदात्त होता है)। अनः-VI. iv. 134 (भसञक अन् अन्तवाले अङ्ग के) अन् के (अकार का लोप होता है)।
अन: - VIII. ii. 16 . (वेद-विषय में) अन अन्तवाले शब्द से उत्तर (मतप को नुट् आगम होता है)। अन: -VIII. iii. 108
अनकारान्त (सन् धात) के (सकार को वेद-विषय में मूर्धन्य आदेश होता है)।
अनक्षे-.iv.74
(ऋक्, पुर, अप.धुर् तथा पथिन् शब्द अन्त में हैं जिस समास के, तदन्त से समासान्त अप्रत्यय होता है,) यदि वह (धुर) अक्षसम्बन्धी न हो तो। अनग्लोपे- VII. iv.93
(चङ्परक णि के परे रहते अङ्ग के अभ्यास को लघु धात्वक्षर परे रहते सन् के समान कार्य होता है, यदि अङ्ग के) अक् प्रत्याहार का लोप न हुआ हो तो। अनङ्-V. iv. 131 (ऊधस् शब्दान्त बहुव्रीहि को समासान्त) अनङ् आदेश होता है। अनङ्-VII. 1.75 (नपुंसकलिङ्ग वाले अस्थि, दधि, सक्थि, अक्षि - इन अङ्गों को तृतीयादि अजादि विभक्तियों के परेरहते) अन आदेश होता है (और वह उदात्त होता है)।
अनङ्-VII.1.93 __ (सखि अङ्गको सम्बुद्धिभिन्न सु परे रहते) अनङ् आदेश होता है। अनङि-VI. iv. 98 (गम,हन,जन,खन,घस्- इन अङ्गों की उपधा का लोप हो जाता है), अभिन्न (अजादि कित. ङित्) प्रत्यय परे हो तो। अनचि- VIII. iv.46
(अच से उत्तर यर को विकल्प करके) अच परे न हो तो (भी द्वित्व हो जाता है)। अनजिरादीनाम् - VI. iii. 118
अजिरादि शब्दों को छोड़कर (मतुप् परे रहते बच् शब्दों के अण को दीर्घ होता है,सज्ञा विषय में)। अन -II.1.59
नज रहित (क्तान्त सुबन्त) शब्द (नविशिष्ट समानाधिकरण क्तान्त सुबन्त के साथ विकल्प से समास को प्राप्त होता है और वह तत्पुरुष समास होता है)। अन... -II. iv. 19
देखें- अनब्कर्मधारयः II. iv. 19 अनत्रः - VI. iv. 127
(अर्वन् अङ्ग को तृ आदेश होता है.यदि अर्वन शब्द से परे सुन हो तथा वह अर्वन शब्द) नब से उत्तर (भी) न हो तो।