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बहुप्रजाः
बहुप्रजा: - Viv. 123
(वेद-विषय में) असिच् प्रत्ययान्त बहुप्रजाः शब्द (बहुव्रीहि समास में) निपातन किया जाता है।
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बहुभाषिणि - V. 1. 125
(वाच् प्रातिपदिक से 'मत्वर्थ' में आलच् और आटच् प्रत्यय होते है), 'बहुत बोलने वाला' अभिधेय हो तो ।
... बहुभ्यः - V. iii. 2
देखें - किंसर्वनामo V. III. 2
.... बहुल... - VI. iv. 157
देखें - प्रियस्थिरo VI. iv. 157
बहुलम् - II. 1. 32
वे
(कर्तृवाची और करणवाची जो तृतीयान्त सुबन्त, समर्थ कृदन्त सुबन्त के साथ) बहुल करके (समास को प्राप्त होते है और वह तत्पुरुष समास होता है) ।
बहुलम्
-II. iii. 62
बहुल करके (चतुर्थी के अर्थ में षष्ठी विभक्ति होती है, वेद में)।
बहुलम्
- II. iv. 39
बहुल करके (अद् को घस्लृ आदेश होता है छन्द में, घञ् और अप् प्रत्यय के परे रहते) ।
बहुलम् - II. iv. 73
(वैदिक प्रयोग विषय में शप् का) बहुल करके (लुक् होता है)।
बहुलम् - II. iv. 76
(जुहोत्यादि धातुओं से उत्तर) बहुल करके (शप् को श्लु होता है, वेद में)।
बहुलम् - II. iv. 84
(अदन्त अव्ययीभाव से उत्तर सप्तमी और तृतीया के सुप् को) बहुल करके (अम् आदेश होता है)।
बहुलम् - III. 1. 34
बहुल करके (धातु से सिप् प्रत्यय होता है, लेट् परे रहते।
बहुलम् -III. i. 85
(वेदविषय में) बहुल करके (सब विधियों में परस्पर विनिमय हो जाता है)।
बहुलम् - III. ii. 81
(अभीक्ष्णता अर्थात् पौनःपुन्य गम्यमान हो तो धातु से) बहुल करके (णिनि प्रत्यय होता है) ।
बहुलम् - III. ii. 88
(वेदविषय में कर्म उपपद रहते भूतकाल में हन् धातु से) बहुल करके (क्विप् प्रत्यय होता है) 1.
-III. iii. 1
बहुलम् -
प्रायः, जहाँ विहित है, उनके अतिरिक्त भी, विना विधान hi (धातुओं से उणादि प्रत्यय वर्तमान काल में) बहुल करके होते है ।
बहुलम् - III. iii. 108
( रोगविशेष की संज्ञा में धातु से स्त्रीलिङ्ग में ण्वुल्' प्रत्यय) बहुल करके होता है।
म् - III. iii. 113
बहुलम् -
बहुलम्
(कृत्यसंज्ञक प्रत्यय तथा ल्युट् प्रत्यय) बहुल अर्थों में होते हैं।
-IV. i. 148
बहुलम् -
(सौवीर गोत्र में वर्तमान वृद्धसंज्ञक प्रातिपदिकों से अपत्य अर्थ में) बहुल करके (ठक् प्रत्यय होता है, कुत्सन गम्यमान होने पर) ।
- IV. i. 160
बहुलम् -
(अवृद्धसंज्ञक प्रातिपदिक से अपत्यार्थ में) बहुल करके (फिन् प्रत्यय होता है, प्राच्य आचार्यों के मत में, अन्यत्र इञ्) ।
बहुलम् - IV. iii. 37
(नक्षत्रवाची प्रातिपदिकों से जातार्थ में उत्पन्न प्रत्यय का) बहुल करके लुक् होता है। बहुलम् - IV. iii. 99
(प्रथमासमर्थ भक्तिसमानाधिकरणवाची गोत्र आख्यावाले तथा क्षत्रिय आख्या वाले प्रातिपदिकों से) बहुल करके (वुञ् प्रत्यय होता है)।
बहुलम् - Vil. 122
(प्रातिपदिकों से वैदिक प्रयोग-विषय में) बहुल करके (मत्वर्थ' में विनि प्रत्यय होता है)।