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बहुपूगगणसहस्य
बन्ये-VI. ifi. 12
बन्ध शब्द उत्तरपद रहते (भी हलन्त तथा अदन्त शब्द से उत्तर सप्तमी का विकल्प करके अलुक् होता है)। ...बन्येषु -VI. ii. 32 • देखें-सिद्धशुष्क० VI. ii. 32 . ...बन्यैः - II.i. 40
देखें-सिद्धशुष्कपक्वबन्धैः II. I. 40 बभयुस्तितुतयसः - V. 1. 138
(कम तथा शम् प्रातिपदिकों से मत्वर्थ में) ब,भ,युस. ति, तु, त तथा यस् प्रत्यय होते हैं। बभूथ - VII. ii. 64 _ 'बभूथ' यह शब्द (वेदविषय में) इडभावयुक्त निपातन किया जाता है, (थल्.परे रहते)। ...बध्वोः - IV.i. 106 ...
देखें - मधुबम्वोः IV. 1. 106 . . बर्हिषि-IV. iv. 119
(सप्तमीसमर्थ) बर्हिष् प्रातिपदिक से (दिया हआ' अर्थ में यत् प्रत्यय होता है, वेद-विषय में)। ...बर्हिस्... - VIII. iii. 97
देखें - अम्बाम्ब० VIII. 1.97 ...बल... -IV.ii.79 - देखें-अरीहणकशाश्व IV. 1.79 ...बलयोः - VII. ii. 20
देखें - स्थूलबलयोः VII. I. 20 बलादिभ्यः - V. Ii. 136
बलादि प्रातिपदिकों से विकल्प से 'मत्वर्थ' में मतप प्रत्यय होता है)। ...बलि... -II.. 35
देखें - तदर्थार्थबलिहित० II. 1. 35 ...बलि... - III. II. 21
देखें - दिवाविमाo III. ii. 21 ...बलि...-V.ii. 139 .देखें-तुन्दिबलिo V. ii. 139 ....बले-V.1.98
देखें-कामबले v.ii. 98
....बले: - V.I. 13
देखें-छदिरुपधिबले: V.I. 13 'बशः -VIII. 11. 32
(धातु का अवयव जो एक अच् वाला तथा झपन्त उसके अवयव) बश् के स्थान में (भष् आदेश होता है; झलादि सकार तथा झलादि ध्व शब्द के परे रहते एवं पदान्त में। ....बहिर्... - II.1.11
देखें - अपपरिबहिस्चयः II. 1. 11 ...बहिाम्.-V. iv. 116
देखें - अन्तर्बहिर्थ्याम् V. iv. 116 बहियोग... -I.. 35
देखें - बहियोंगोपसंव्यानयोः I. 1. 35 बहु... -1.1.22
देखें-बहुगणक्तुडति 1.1.22 ....बहु...-III. 1. 21
देखें-दिवाविमा० III. 1. 21 बहु... -V. 1. 52
देखें-बहुपूग० V. ii. 52 बहु... -v.iv.42
देखें - बह्वल्पार्थात् V. iv. 42 बहु -VI. ii. 30
(द्विग समास में इगन्त,कालवाची,कपाल,भगाल तथा शराव शब्दों के उत्तरपद रहते) बहु शब्द (विकल्प करके प्रकृतिस्वर होता है)। बहुगणवतुडति-I.i. 22
बहु शब्द,गण शब्द,वतु प्रत्ययान्त तथा डति प्रत्ययान्त शब्दों की संख्या संज्ञा होती है)। बहुच - V. iii. 68
(किञ्चित् न्यून' अर्थ में वर्तमान सुबन्त से विकल्प से) बहुच प्रत्यय होता है (और वह सुबन्त से पूर्व में ही होता है)। बहुपूगगणसस्य -V.ii. 52 .
षष्ठीसमर्थ बहु, पूग, गण, सङ्घ -इन को (पूरण' अर्थ में विहित डट् प्रत्यय के परे रहते तिथुक् आगम होता है)।