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प्रत्ययस्थात्
प्रत्ययस्थात् - VII. iii. 44
प्रत्यय में स्थित (ककार) से (पूर्व अकार के स्थान में इकारादेश होता है, आप् परे रहते, यदि वह आप् सुप् से उत्तर न हो तो)।
प्रत्ययस्य • I. 1. 60
प्रत्यय के (अदर्शन की लुक्, श्लु, लुप् संज्ञायें होती
1
प्रत्ययस्य - I. lii. 6
(उपदेश में) प्रत्यय के (आदि में वर्तमान षकार की इत्सञ्ज्ञा होती है)।
- III. iv. 1
प्रत्ययः
(दो धातुओं के अर्थ का सम्बन्ध होने पर भिन्नकाल में विहित) प्रत्यय (भी कालान्तर में ) साधु होते हैं।
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- प्रत्ययात् - III. 1. 35
देखें प्रत्ययात्
-कास्प्रत्ययात् III. 1. 35 III. III. 102
प्रत्ययान्त धातुओं से (स्त्रीलिङ्ग कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में अ प्रत्यय होता है।
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प्रत्ययात् - VI. 1. 186
(भी, डी, भू, हु, मद, जन, घन, दरिद्रा तथा जागृ धातु के अभ्यस्त को पितु ल सार्वधातुक परे रहते) प्रत्यय से (पूर्व को उदात्त होता है)।
376
प्रत्ययात् - VI. iv. 106
(संयोग पूर्व में नहीं है जिससे, ऐसा जो उकार, तदन्त) जो प्रत्यय, तदन्त अङ्ग से उत्तर भी हि का लुक् हो जाता है)।
प्रत्ययादीनाम् - VII. 1. 2
प्रत्यय के आदि में (फू, द, ख. छ् तथा घ् को यथासङ्ख्य करके आयन्, ए, ई, ईय् तथा इय् आदेश होते है)। ...प्रत्ययार्थवचनम् - 1. 11. 56
देखें -प्रधानप्रत्ययार्थवचनम् 1. 11. 56 प्रत्यये - I. iv. 13
( जिस धातु या प्रातिपदिक से प्रत्यय का विधान किया जाये, उस) प्रत्यय के परे रहते (उस धातु या प्रातिपदिक का आदि वर्ण है आदि जिसका, उस समुदाय की अङ्ग संज्ञा होती है।
प्रत्यये VI. 1. 76
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(यकारादि) प्रत्यय के परे रहते (एच् के स्थान में संहिता के विषय में वकार अन्तवाले अर्थात् अव्, आव् आदेश होते हैं)।
प्रत्ययोत्तरपदयोः - VII. ii. 98
प्रत्यय तथा उत्तरपद परे रहते (भी एकत्व अर्थ में वर्तमान युष्मद्, अस्मद् अङ्ग के मपर्यन्त भाग को क्रमशः त्व, म आदेश होते हैं) ।
... प्रत्यवसानार्थ... - I. iv. 52
देखें गतिबुद्धिप्रत्यवसानार्थ० Liv. 52 ...प्रत्यवसानार्थेभ्य - III. Iv. 76
देखें - प्रौव्यगति०] III. I. 76
प्रथम...
प्रत्याङ्भ्याम् - 1. lil. 59
प्रति तथा आङ् उपसर्ग से उत्तर (सन्नन्त श्रु धातु से आत्मनेपद नहीं होता है)।
प्रत्याङ्भ्याम् I. Iv. 40
प्रति एवं आङ् उपसर्ग से उत्तर (श्रु धातु के प्रयोग में. पूर्व का जो कर्ता, वह कारक सम्प्रदानं संज्ञक होता है) प्रत्यारम्भे - VIII. 1. 31
(नह से युक्त तिङन्त को) प्रत्यारम्भ = होने पर (अनुदात्त नहीं होता।
प्रत्येनसि - VI. 11. 27
पुनः आरम्भ
प्रत्येनस् शब्द उत्तरपद रहते (कर्मधारय समास में कुमार शब्द को आदि उदात्त होता है)।
प्रत्येनसि - VI. 1. 60
(षष्ठ्यन्त पूर्वपद राजन् शब्द को) प्रत्येनस् शब्द उत्तरपद रहते (विकल्प से प्रकृतिस्वर होता है)।
... प्रथ... - VII. iv. 95
देखें - स्मृत्यरo VII. Iv. 95 प्रथने - III. III. 33
(वि पूर्वक स्तु धातु से अशब्दविषयक) विस्तार को कहना हो तो कर्तृभिन्न कारक संज्ञाविषय तथा भाव में मन् प्रत्यय होता है।
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प्रथम... - I. 1. 32
देखें प्रथमचरमतयाल्पार्धकतिपयनेमाः 1. 1. 32.