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प्रथम...
प्रथम... - I. iv. 100
देखें – प्रथममध्यमोत्तमाः I. iv. 100
... प्रथम... - II. 1. 57
देखें - पूर्वापरप्रथम II. 2. 57
... प्रथम... - III. iv. 24
देखें- अप्रेप्रथमपूर्वेषु III. iv. 24
... प्रथम... - IV. iii. 72
देखें - द्वयजद्वाह्मणo IV. iii. 72
प्रथम... - VI. ii. 162
देखें - प्रथमपूरणयो: VI. II. 162
प्रथम: - I. iv. 107
(मध्यम, उत्तम पुरुष जिन विषयों में कहे गये हैं, उनसे अन्य विषय में) प्रथम पुरुष होता है।
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प्रथम - VI. ii. 56
(अचिरकाल सम्बन्ध गम्यमान हो तो) प्रथम पूर्वपद को (विकल्प से प्रकृतिस्वर होता है)। प्रथमचरमतयाल्पार्धकतिपयनेमा - I. 1. 32
प्रथम, चरम, तयप् प्रत्ययान्त शब्द, अल्प, अर्ध, कतिपय ' तथा नेम शब्दों (की भी जस्-सम्बन्धी कार्य में विकल्प • करके सर्वनाम संज्ञा होती है) । प्रथमपूरणयोः - VI. ii. 162
(बहुव्रीहि समास में इदम् एतत्, तद् शब्दों से परे क्रिया के गणन में वर्तमान) प्रथम तथा पूरण प्रत्ययान्त शब्दों hi (अन्तोदात्त होता है)।
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प्रथममध्यमोत्तमाः - I. iv. 100
( तिङ् प्रत्ययों के तीन-तीन के जुट क्रम से) प्रथम, मध्यम और उत्तम संज्ञक होते हैं)। प्रथमयोः
- VI. i. 98
( अक् प्रत्याहार के पश्चात् ) प्रथमा और द्वितीया विभक्ति के (अच् के) परे रहते (पूर्व पर के स्थान में पूर्व जो वर्ण, उसका सवर्णदीर्घ एकादेश होता है)। प्रथमयोः
. - VII. 1. 28
(युष्मद् तथा अस्मद् अङ्ग से उत्तर ङे विभक्ति के स्थान में तथा प्रथमा एवं द्वितीया विभक्ति के स्थान में (अम् आदेश होता है)।
प्रथमस्य - II. iv. 85
(लुडादेश) प्रथम पुरुष के (स्थान में क्रमशः डा, रौ और रस् आदेश होते हैं)।
...प्रदोषाभ्याम्
प्रथमस्य - VI. 1. 1
प्रथम (एकाच् वाले समुदाय) को (द्वित्व हो जाता है) । प्रथमयोः
- VII. i. 28
(युष्मद् तथा अस्मद् अङ्ग से उत्तर ङे विभक्ति के स्थान में तथा प्रथम एवं द्वितीया विभक्ति के स्थान में (अम् आदेश होता है)।
प्रथमा - II. lii. 46 -
(प्रातिपदिकार्थमात्र, लिङ्गमात्र, परिमाणमात्र और वचनमात्र में ) प्रथमा विभक्ति होती है।
प्रथमा - VIII. 1. 58
(च तथा वा के योग में) प्रथमोच्चरित (तिङन्त को अनुदात्त नहीं होता) ।
प्रथमात् - IV. 1. 82
(यहाँ से लेकर प्राग्दिशो विभक्तिः V. iii. 1 तक कहे जाने वाले प्रत्यय, समर्थों में) जो प्रथम, उनसे (विकल्प से होते हैं)।
प्रथमानिर्दिष्टम् - I. 11.43
(समासविधान करने वाले सूत्रों में) जो प्रथमा विभक्ति से निर्दिष्ट पद, वह (उपसर्जन-संज्ञक होता है)।
.. प्रथमाभ्यः - V. iii. 27
देखें - सप्तमीपञ्चमी० V. iii. 27
प्रथमाया - VII. it. 88
प्रथमा विभक्ति के (द्विवचन के परे रहते भी भाषाविषय युष्मद् अस्मद् को आकारादेश होता है)।
में
प्रथमाया - VIII. 1. 26
(विद्यमान है पूर्व में कोई पद जिससे, ऐसे) प्रथमान्त पद से उत्तर (षष्ठ्यन्त, चतुर्थ्यन्त तथा द्वितीयान्त युष्मद्, अस्मद् शब्दों को विकल्प से वाम्, नौ आदि आदेश नहीं होते) ।
प्रथमे
- IV. i. 20
प्रथम (अवस्था) में (वर्तमान अनुपसर्जन अदन्त प्रातिपदिकों से स्त्रीलिङ्ग में ङीप् प्रत्यय होता है) ।
... प्रदोष... - IV. 1. 28
देखें - पूर्वाहणापराहणार्द्रा० IV. Iii. 28 ... प्रदोषाभ्याम् - IV. iii. 14 देखें - निशाप्रदोषाभ्याम् IV. III. 14