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पूजायाम्
पूजायाम् - VI. iv. 30
पूजा अर्थ में (अ अङ्ग की उपधा के नकार का लोप नहीं होता है।
पूजायाम् -VII. i. 53
(अशु धातु से उत्तर) पूजा अर्थ में (क्त्वा तथा निष्ठा को इट् आगम होता है) ।
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पूजायाम् - VIII. 1. 37
( यावत् और यथा से युक्त अव्यवहित तिङन्त को) पूजा विषय में (अननुदात्त नहीं होता अर्थात् अनुदात्त ही होता है)।
पूजायाम् - VIII. 1. 39
(तु, पश्य, पश्यत, अह - इनसे युक्त तिङन्त को) पूजा-विषय में (अनुदात्त नहीं होता) ।
... पूजार्थेभ्य: - III. 1. 188 देखें - मतिबुद्धि III. ii. 188
... पूजि... - III. iii. 105
देखें - चिन्तिपूजिo III. iii. 105 पूजितम् - VIII. 1.67
(पूजनवाची शब्दों से उत्तर) पूजितवाची शब्दों को (अनुदात्त होता है)।
पूज्यमानम् - II. 1. 61
पूज्यमानवाची (सुबन्त) शब्द (वृन्दारक, नाग, कुञ्जर इन समानाधिकरण सुबन्तों के साथ विकल्प से समास को प्राप्त होता है और वह तत्पुरुष समास होता है)। पूज्यमानैः - II. 1. 60
(सत् महत्, परम, उत्तम, उत्कृष्ट- ये शब्द समानाधिकरण) पूज्यमानवाची (सुबन्त) शब्दों के साथ (विकल्प से समास को प्राप्त होते हैं और वह समास तत्पुरुषसंज्ञक होता है) । -
.. पूत... - VI. ii. 187
देखें - स्फिगपूतo VI. ii. 187 पूतक्रतोः - IV. 1. 36
अनुपसर्जन पूतक्रतु प्रातिपदिक से (स्त्रीलिङ्ग में ङीप् प्रत्यय होता है तथा ऐकार अन्तादेश भी हो जाता है ) ।
पूतक्रतु = इन्द्र ।
... पूति... - V. iv. 135 देखें - उत्पूतिo Viv. 135
पूरण... - II. ii. 11
देखें
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- पूरणगुणसुहितार्थ II. 1. 11
पूरण... - V. i. 47 देखें - पूरणार्थात् V. 1. 47 पूरणगुणसुहितार्थसदव्ययतव्यसमानाधिकरणेन – II.
ii. 11
पूरण प्रत्ययान्त, गुणवाची शब्द, सुहित तृप्ति अर्थ वाले, सत्सञ्ज्ञक प्रत्यय, अव्यय, तव्यप्रत्ययान्त तथा समानाधिकरणवाची शब्दों के साथ (षष्ठ्यन्त सुबन्त समास को प्राप्त नहीं होते) ।
...पूरणयो: - VI. 1. 162
देखें - प्रथमपूरणयो: VI. 1. 162
.....पूरण्योः
पूरणात् - Vii. 130
पूरण- प्रत्ययान्त शब्दों से ( अवस्था गम्यमान हो तो 'मत्वर्थ' में इनि प्रत्यय होता है) । .
पूरणात् - V. iii. 48
( भाग' अर्थ में वर्त्तमान) पूरणार्थक (तीय प्रत्ययान्त) प्रातिपदिकों से (स्वार्थ में अन् प्रत्यय होता है) । पूरणार्द्धात् - V. 1. 47
(प्रथमासमर्थ) पूरणवाची प्रातिपदिकों से तथा अर्ध प्रातिपदिक से (सप्तम्यर्थ में ठन् प्रत्यय होता है, यदि 'वृद्धि = व्याज के रूप में दिया जाने वाला द्रव्य, 'आय' = जमींदारों का भाग, 'लाभ' = मूल द्रव्य के अतिरिक्त प्राप्य द्रव्य, 'शुल्क' = राजा का भाग तथा 'उपदा' = घूस – ये 'दिया जाता है' क्रिया के कर्म हों तो) ।
पूरणी... - V. iv. 116.
देखें - पूरणीप्रमाण्योः v. iv. 116 पूरणीप्रमाण्योः - Viv. 116
पूरण प्रत्ययान्त (जो स्त्रीलिङ्ग) शब्द तथा प्रमाणी अन्तवाले (बहुव्रीहि) से (समासान्त अप् प्रत्यय होता है) । पूरणे - V. ii. 48
(षष्ठीसमर्थ सङ्ख्यावाची प्रातिपदिकों से 'पूरण' अर्थ में (डट् प्रत्यय होता है)।
...पूरण्योः - VI. iii. 37
देखें - संज्ञापूरण्यो: VI. iii. 37