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पूरयितव्ये
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पूर्वपरयोः
पूरयितव्ये - VI. iii. 58
पूर्व: - VI. 1. 131 जिसे पूरा किया जाना चाहिये,तद्वाची (एक = असहाय (ककार से) पूर्व (सुट् का आगम होता है),यह अधिकार हल् है आदि में) ऐसे शब्द के उत्तरपद रहते उदक शब्द है। के स्थान में विकल्प करके उद आदेश होता है)। पर्वकाल... -II. I. 48 ...पूरि... -III.i. 61
* देखें - पूर्वकालैकसर्वजरत II. I. 48. देखें-दीपजनबुध III.i. 61
पूर्वकाले - III. iv. 21 पूरेः - III. iv. 31
(दो क्रियाओं का एक कर्ता होने पर) उनमें से पूर्वकाल (चर्म तथा उदर कर्म उपपद रहते) ण्यन्त पूरी धातु से में वर्तमान (धातु से क्त्वा प्रत्यय होता है)। (णमुल् प्रत्यय होता है)।
पूर्वकालैकसर्वजरत्पुराणनवकेवला: - II. I. 48 ...पूरोः - III. iv. 44
पूर्वकाल, एक, सर्व, जरत, पुराण, नव, केवल - ये देखें-शुषिपूरो: III. iv. 44.
(सुबन्त) शब्द (समानाधिकरण सुबन्त के साथ विकल्प से ...पूर्ण... -VII. ii. 27
समास को प्राप्त होते है और वह समास तत्पुरुषसंज्ञक देखें-दान्तशान्तपूर्ण VII. ii. 27
होता है)। पूर्णात् - V. iv. 149
पूर्वत्र -VIII. ii.1 पूर्ण शब्द से उत्तर (काकद शब्द का विकल्प से समा
(यह अधिकार सूत्र है। यहां से आगे अध्याय की सान्त लोप होता है, बहुव्रीहि समास में)।
समाप्तिपर्यन्त) पूर्व-पूर्व की दृष्टि में अर्थात् सवा सात पूर्व... -I.i. 33
अध्याय में कहे गये सूत्रों की दृष्टि में (तीन पाद के सूत्र देखें - पूर्वपरावरदक्षिणोत्तरापराधराणि I. 1. 33
असिद्ध होते है)। पूर्व.. -II.i. 30 देखें - पूर्वसदृशसमोनार्थ. II. 1. 30
पूर्वपदम् – VI. ii.1 . पूर्व.. - II. 1.57
(बहुव्रीहि समास में) पूर्वपद (प्रकृतिस्वर वाला होता देखें - पूर्वापरप्रथम II. I. 57 पूर्व... - II. ii.1
पूर्वपदस्य-VII. iii. 19 देखें-पूर्वापराधरो० II. ii.1
(हृद. भग.सिन्ध-ये शब्द अन्त में है जिन अङगों पूर्व... - V. iii. 39
के, उनके) पूर्वपद के (तथा उत्तरपद के अचों में आदि देखें.- पूर्वाधरा० v. iii. 39
अच् को भी जित, णित् तथा कित् तद्धित परे रहते वृद्धि ....पूर्व... -V.ili.111
होती है)। देखें -प्रत्नपूर्व०V iii. 111 पूर्व... -VI.i. 81
पूर्वपदात् - VIII. iii. 106 देखें-पूर्वपरयो: VI. 1.81
पूर्वपद में स्थित निमित्त से उत्तर (सकार को वेद-विषय पूर्व: -1.1.64
में कई आचार्यों के मत में मूर्धन्य आदेश होता है)। (अन्त्य अल से) पूर्व वाला (अल् उपधासंज्ञक होता है)। पर्वपदात -VIII. iv.3 पूर्व: - VI.i.4
(गकारभिन्न) पूर्वपद में स्थित निमित्त से उत्तर (जो इस प्रकरण में द्वित्व कहा है, उन दोनों में) जो पूर्व ।
संज्ञाविषय में नकार को णकारादेश होता है)। . है,वह (अभ्याससञक होता है)।
पूर्वपरयोः - VI. 1. 81 पूर्वः - VI. 1. 103 (अक् प्रत्याहार से उत्तर अम् विभक्ति के परे रहते)
'पूर्व और पर दोनों के स्थान में (एक आदेश होगा', पूर्वरूप (एकादेश) होता है।
यह अधिकृत होता है)।