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...पुरोहितादिभ्यः
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पूजायाम्
...पुरोहितादिभ्यः - V.i. 127
देखें-पत्यन्तपुरोहिताo V. 1. 127 पुकः -III. 1. 183
वह करण कारक हल् तथा सूकर का अवयव हो तो)। पुकः-III. ii. 185
पूज् धातु से (संज्ञा गम्यमान हो,तो करण कारक में इत्र प्रत्यय होता है, वर्तमानकाल में)। पुषः - III. iv. 40
(स्ववाची करण उपपद रहते) पुष धातु से (णमुल प्रत्यय होता है)। पुषादि... -III. 1.55
देखें - पुवादिधुतालुदित III. 1. 55 पुषादिधुताब्लदित - III. 1.55
पुषादि, द्युतादि तथा लुदित् धातुओं से उत्तर (च्लि को अङ् आदेश होता है,कर्तृवाची लुङ् परस्मैपद परे रहते)। पुष्करादिभ्यः - V.ii. 135
पुष्करादि प्रातिपदिकों से (मत्वर्थ' में इनि प्रत्यय होता है, देश वाच्य होने पर)। ...पुष्य.. -IV. 1.64
देखें - पाककर्णपर्ण IV.i.64 ....पुष्यत् - IV. iii. 43
देखें-साधुपुष्यत् M. iii. 43 पुष्य.. -III. 1. 116 .देखें-पुष्यसिद्धधौ III. I. 116 पुष्यसिद्धचौ-III.i. 116
(नक्षत्र अभिधेय हो तो अधिकरण कारक में) पुष्य और सिख्य शब्द क्यप् प्रत्ययान्त निपातन किये जाते हैं। ....पू...-III. iii. 49
देखें-अयतियौतिक III. iii. 49 ...पू.. -VIII. iv. 33 . देखें-भाभूपू० VIII. iv.33 पू:... -III. 1. 41
देखें-पू.सर्वयोः III. ii.41 पसर्वयोः -III. 1. 41
पुर तथा सर्व (कर्म) के उपपद रहते (ण्यन्त 'द' विदारणे धातु से तथा सह धातु से यथासंख्य करके खच् प्रत्यय होता है)।
...पूग... - V. ii. 52
देखें-बहुपूग० V. ii. 52 पूगात् -V.Ili. 112. (प्रामणी पर्व अवयव न हो जिसके ऐसे) पगवाची = अर्थ और काम में आसक्त पुरुषों के नानाजातीय और अनियत वृत्तिवाला समूह, तद्वाची प्रातिपदिकों से (ज्य प्रत्यय होता है,स्वार्थ में)। - पूगेषु – VI. ii. 28
पूगवाची = अर्थ और काम में आसक्त पुरुषों के नानाजातीय और अनियत वृत्तिवाला समूह,तद्वाची शब्द उत्तरपद रहते (कर्मधारय समास में कुमार शब्द को विकल्प से आधुदात्त होता है)। पूङ्... -III. ii. 128
देखें - पूड्यजोः III. ii. 128 ...पू... - VII. II. 74
देखें - स्मिपू० VII. 11. 74 पूड-I.ii. 22 'पूङ् पवने' धातु से परे (सेट निष्ठा तथा सेट् क्त्वा प्रत्यय भी कित् नहीं होता है)। पूड:- VII. ii. 51
पूङ् धातु से उत्तर (भी क्त्वा तथा निष्ठा को इट् आगम विकल्प से होता है)। पूड्यजोः -III. 1. 129
पूङ् तथा यज् धातुओं से (वर्तमान काल में शानन् प्रत्यय होता है)। पूजनात् - V. iv.69
पूजनवाची प्रातिपदिक से (समासान्त प्रत्यय नहीं होते)। पूजनात् - VIII. 1.67
पूजनवाची शब्दों से उत्तर (पूजितवाची शब्दों को अनुदात्त होता है)। पूजायाम् -I.iv.93
पूजा अर्थ में (सु शब्द कर्मप्रवचनीय और निपात-संज्ञक होता है)। पूजायाम् -II. ii. 12
पूजा अर्थ में (विहित क्त प्रत्ययान्त के साथ षष्ठ्यन्त सुबन्त का समास नहीं होता।