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________________ पादम्याड्यमाझ्यसपरिमुहरुचिनृतिवदवसः 359 पारायण... पादम्याङ्यमाझ्यसपरिमुहरुचिनृतिवदवस: - I. Iii. 89 पा,दमि,आङ्पूर्वक यम,आपूर्वक यस,परिपूर्वक मुह, रुचि, नृति, वद, वस् - इन ण्यन्त धातुओं से परस्मैपद नहीं होता है। पादविहरणे-I. iii. 41 पादविहरण= टहलना अर्थ में वर्तमान (वि पूर्वक क्रम् धातु से आत्मनेपद होता है)। पादशतस्य -Vill.1 (सङ्ख्या आदि में है जिसके,ऐसे) पाद और शत शब्द अन्त वाले प्रातिपदिकों से (वीप्सा' गम्यमान हो तो वुन् प्रत्यय होता है तथा प्रत्यय के साथ-साथ पाद तथा शत के अन्त का लोप भी होता है)। पादस्य -V. iv. 138 उपमानवाचक हस्त्यादिवर्जित प्रातिपदिकों से उत्तर को पाद शब्द, उसका समासान्त लोप हो जाता है, बहुव्रीहि समास में)। पादस्य-VI. 1.51 पाद शब्द को (पद आदेश होता है; आजि, आति, ग तथा उपहत उत्तरपद परे रहते)। पादान्ते -VII. 1.57 (वेद-विषय में) ऋचा के पाद के अन्त में वर्तमान (गो शब्द से उत्तर आम् को नुट् का आगम होता है)। पादार्घाभ्याम् -V. iv. 25 पाद और अर्घ प्रातिपदिकों से (भी 'उसके लिये यह अर्थ में यत् प्रत्यय होता है)। पाइन्मूर्धसु - VI. ii. 197 (द्वि तथा त्रि से उत्तर) पाद, दत्, मूर्धन् इन शब्दों के उत्तरपद रहते (बहुव्रीहि समास में विकल्प से अन्तोदात्त होता है)। पानम् -VII. iv.1 (पूर्वपद में स्थित निमित्त से उत्तर) पान शब्द के (नकार को देश का अभिधान हो रहा हो तो णकारादेश होता ...पाप... - III. ii. 89 देखें - सुकर्म II. ii. 89 ...पाप... - IV. 1. 30 देखें-केवलमामक IV. 1. 30 पापम् -VI. ii.68 (शिल्पिवाची शब्द उत्तरपद रहते) पाप शब्द को (भी विकल्प से आधुदात्त होता है)। ...पापयोगात् -v. iv. 47 देखें-हीयमानपापयोगात् V. iv. 47 ...पापवत्सु-VI. I. 25 देखें-अज्यावम० VI. ii. 25 पापाणके -II.1.53 (कुत्सनवाची) पाप और अणक शब्द (कुत्सितवाचक सुबन्तों के साथ विकल्प से तत्पुरुष समास को प्राप्त होते है। ...पामादि... -V. 1. 100 देखें-लोमादिपामादिov. ii. 100 पायौ - VII. ill. 11 (स्वतवान शब्द के नकार को रु होता है),पायु शब्द परे रहते.। पाय्य... -III. I. 129 देखें - पाय्यसान्नाय्य III. I. 129 ...पारय.. - VI. ii. 122 देखें-कंसमन्य० VI. ii. 122 पाय्यसान्नाय्यनिकाय्यधाय्याः -III. 1. 169 पाय्य, सान्नाय्य, निकाय्य, धाय्य - ये शब्द (यथासङ्ख्य करके मान,हवि,निवास तथा सामधेनी अभिधेय हो तो निपातन किये जाते हैं। ...पार... -III. ii. 48 । देखें- अन्तात्यन्त III. ii. 48 ...पार... - VIII. iii. 53 देखें- पतिपुत्र० VIII. iii. 53 पारस्करप्रभृतीनि-VI. 1. 151 पारस्कर इत्यादि शब्दों में (भी सुट् आगम निपातन किया जाता है,संज्ञा के विषय में)। पारायण..-V.1.72 देखें-पारायणतुरायण V. 1.72 • पाप.. -II. 1.53 देखें-पापाणके II.1.53
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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