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अप... -IV. iii.7
देखें - अष्ठी viii.7 अ -IV. iii. 118
(तृतीयासमर्थ क्षुद्रा, भ्रमर, वटर व पादप प्रातिपदिकों से 'कृते' अर्थ में संज्ञाविषय गम्यमान होने पर) अञ् प्रत्यय होता है। अ - IV. iii. 121 (पत्र पूर्व वाले षष्ठीसमर्थ रथ शब्द से 'इदम्' अर्थ में) अञ् प्रत्यय होता है । अब्... - IV. iii. 126
देखें- अव्यभिजाम् IV. iii. 126 अ -IV. iii. 136
(षष्ठीसमर्थ उवर्णान्त प्रातिपदिक से विकार और अवयव अर्थों में) अञ् प्रत्यय होता है। अब्-IV. iii. 151
(षष्ठीसमर्थ प्राणिवाची तथा रजतादिगण में पढे प्राति- पदिकों से विकार और अवयव अर्थों में )अप्रत्यय होता
अ - IV. iv. 49 ' (षष्ठीसमर्थ ऋकारान्त प्रातिपदिक से न्याय्य व्यवहार अर्थ में) अञ् प्रत्यय होता है। अञ्-.i. 15 . (चतुर्थीसमर्थ चर्म के विकृतिवाची प्रातिपदिक से "विकृति के लिए प्रकृति' अभिधेय होने पर “हित” अर्थ
में) अब प्रत्यय होता है। .: अ -V.1.26
(शर्प प्रातिपदिक से 'तदर्हति' पर्यन्त कथित अर्थों में) अब् प्रत्यय होता है। अ -v.i.60
(परिमाण समानाधिकरण वाले प्रथमासमर्थ सप्तन् . प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में) अब प्रत्यय होता है; (वेद विषय
में,वर्ग अभिधेय होने पर)।
अ -V. 1. 128 - (षष्ठीसमर्थ जीवधारी, जातिवाची, अवस्थावाची तथा उद्गात्रादि प्रातिपदिकों से भाव और कर्म अर्थों में) अब् प्रत्यय होता है। अब्-V.ii.83
(प्रथमासमर्थ कुल्माष प्रातिपदिक से सप्तम्यर्थ में) अब . प्रत्यय होता है.(यदि वह प्रथमासमर्थ प्रायःकरके सज्जा
विषय में अन्नविषयक हो तो)।
अब् - V. iv. 14 (णअत्ययान्त प्रातिपदिक से स्वार्थ में) अब् प्रत्यय होता है, (स्त्रीलिंग में)। ...अबः - IV.1.73.
देखें - शारवाया IV. 1.73 अ - V.I. 100
अजन्त (हरितादि) प्रातिपदिकों से (अपत्य अर्थ में फक् प्रत्यय होता है)। , ...अजोः - II. iv. 64
देखें - यात्रोः II. iv.64 ...अनौ- IV. ii. 33
देखें-अणौ IV. iii. 33 ...अनौ-IV.ili. 93
देखें- अणजी IV. 1. 93 ..अबो-IV. iii. 165
देखें- ययौ IV. II. 165 ...अौ- V.I. 41
देखें -अणवी v.i. 41 ...अओ -V. iii. 117
देखें- अणौ v. iii. 117 अखौ -IV.I. 141
(महाकुल प्रातिपदिक से) अञ् और खज् प्रत्यय विकल्प से) होते है, (पक्ष में ख)। अ -VIII. 1.48
अबु धातु से उत्तर (निष्ठा के तकार को नकारादेश होता है.यदि अब के विषय में अपादान कारक का प्रयोग न हो रहा हो तो) असतो-VI. 1.52 (इक अन्त में है जिसके, ऐसे गतिसज्जक को वप्रत्ययान्त) अबु धातु के परे रहते (प्रकृतिस्वर होता है)। अती -VI. 1.91
विष्वग् तथा देव शब्दों को तथा सर्वनाम शब्दों के टिभाग को अद्रि आदेश होता है, वप्रत्ययान्त) अबु धातु के परे रहते । ...अर-II. 1. 11
देखें-अपपरिवहिरवII.i. 11 ...अ...-III. 1.59 देखें-ऋविन्दपक III. 1. 59