________________
तत्
287
-IV. iii. 52
प्रथमासमर्थ (कालवाची 'सहन किया' समानाधिकरण प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है)। तत् - IV. iii. 85
द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से (गच्छति क्रिया के पथ तथा कर्ता अभिधेय होने पर यथाविहित प्रत्यय होता है)। तत् - IV. iv. 28
द्वितीयासमर्थ (प्रति, अनुपूर्वक जो ईप, लोम और कूल) प्रातिपदिक, उनसे ('वर्तते = हैं' अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है) ।
तत् - IV. iv. 51
प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में ठक् प्रत्यय होता है, यदि वह प्रथमासमर्थ ' खरीदने योग्य' हो) । तत् - IV. iv. 66
प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से (इसके लिये नियमपूर्वक दिया जाता है' विषय में ठक् प्रत्यय होता है ) । तत् - IV. iv. 76
द्वितीयासमर्थ (रथ, युग, प्रासङ्ग प्रातिपदिकों से ‘ढोता है' अर्थ में यत् प्रत्यय होता है ) ।
तत् - V. 1. 16
(प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में तथा ) प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से (सप्तम्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होते हैं, यदि वह प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक 'स्यात्' 'सम्भव हो' क्रिया के साथ समानाधिकरण वाला हो तो) । तत् - V. 1. 16
प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में तथा प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से सप्तम्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है, यदि वह प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक 'स्यात्' = 'सम्भव हो' क्रिया के साथ समानाधिकरण वाला हो तो)।
तत् - V. 1. 46
प्रथमासमर्थ प्रातिपदिकों से (सप्तम्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होते हैं, यदि 'वृद्धि' = व्याज के रूप में दिया जाने वाला द्रव्य, 'आय' = जमींदारों का भाग, 'लाभ' = मूलद्रव्य के अतिरिक्त प्राप्य द्रव्य, 'शुल्क' = राजा का भाग तथा 'उपदा' = घूस — ये 'दिया जाता है' क्रिया के कर्म वाच्य हों तो)।
तत् - V. 1.49
(वंशादिगणपठित प्रातिपदिकों से उत्तर जो भार शब्द, तदन्त) द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से (हरण करता है' 'वहन करता है' और 'उत्पन्न करता है' अर्थों में यथाविहित प्रत्यय होते हैं) ।
तत् - V. 1.56
प्रथमासमर्थ (परिमाणवाची) प्रातिपदिकों से (षष्ठ्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होते हैं) ।
तत् - V. i. 62
द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिकों से (समर्थ है' अर्थ में यथाविहित प्रत्यय होते हैं)।
तत् - V. 1. 93
प्रथमासमर्थ (कालवाची) प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में यथाविहित ठञ् प्रत्यय होता है, ब्रह्मचर्य गम्यमान होने पर)।
तत् - V. 1. 103
प्रथमासमर्थ (समय) प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में यथाविहित ठञ् प्रत्यय होता है, यदि वह प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक प्राप्त समानाधिकरण वाला हो तो) ।
तत् - V. 1. 116
द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से (योग्यता) विशिष्ट क्रिया वाच्य हो तो वति प्रत्यय होता है) ।
तत् - V. ii. 7
द्वितीयासमर्थ (सर्व शब्द आदि में है जिनके, ऐसे ) (पथिन्, अङ्ग, कर्म, पत्र तथा पात्र) प्रातिपदिकों से (व्याप्त होता है' अर्थ में खं प्रत्यय होता है) ।
तत् - V. ii. 36
प्रथमासमर्थ (संजात समानाधिकरण वाले तारकादि) प्रातिपदिकों से (षष्ठ्यर्थ में इतच् प्रत्यय होता है)।
. तत्... - V. ii. 39
...
देखें- यत्तदेतेभ्यः Vii. 39
तत् - V. ii. 45
प्रथमासमर्थ (दशन् शब्द अन्तवाले) प्रातिपदिक से (सप्तम्यर्थ में ड प्रत्यय होता है, यदि वह प्रथमासमर्थ अधिक समानाधिकरण वाला हो तो)।