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इयण -Viv. 111
(सप्तमीसमर्थ पाथस् और नदी प्रातिपदिकों से वेद- विषय में भव अर्थ में) ड्यण् प्रत्यय होता है। इयत्.. - IV. 1.9
देखें- ड्याड्यो V. 1.9 इयत्.. - IV. iv. 113
देखें-झ्याइयो N. iv. 113. ....झ्या.. - VII. 1. 39
देखें-सुलक्० VII. 1. 39 ..डयो - N.I.9
देखें - ड्यड्ड्यौ N. I.9
....इयो -IV. iv. 113
देखें - ड्यड्ड्यौ iv. iv. 113 इवल - IV. ii. 87
(नड,शाद शब्दों से चातुरर्थिक) इवलच प्रत्यय होता है। नड = नरकुल।
शाद = छोटी घास, कीचड़। ड्वितः-III. iii. 88
डु इत्संज्ञक है जिन धातुओं का,उनसे (कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में वित्र प्रत्यय होता है)। इन् - V.i. 24
(विंशति तथा त्रिंशद् प्रातिपदिकों से 'तदर्हति पर्यन्त कथित अर्थों में) डुवुन् प्रत्यय होता है; (संज्ञाभिन्न विषय
में)।
६.. - VI. III. 110
-VIII. 1. 13 देखें - इलोपे vi. III. 110
(ढकार परे रहते) ढकार का (लोप होता है, संहिता में)। ह-प्रत्याहार सूत्र IX
ढक् - IV.i. 119 भगवान् पाणिनि द्वारा अपने नवम प्रत्याहार सूत्र में (मण्डूक प्रातिपदिक से) ढक प्रत्यय होता है.(चकार से पठित द्वितीय वर्ण। .
विकल्प करके अण भी होता है)। पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी के आदि में पठित वर्णमाला ___मण्डूक = मेंढक। का तेइसवां वर्ण।
स्क्-IV. 1. 120 .....-V.1.15
(स्त्री-प्रत्ययान्त प्रातिपदिकों से अपत्य अर्थ में) ढक् देखें - धिाण IV. 1.15
प्रत्यय होता है। ...... - VII.1.2
हक् - IV. 1. 142 देखें-फडखO VII.1.2
(दुष्कुल प्रातिपदिक से अपत्य अर्थ में विकल्प से) ढक -V.v. 106
प्रत्यय होता है, (पक्ष में ख)। . (सप्तमीसमर्थ सभा शब्द से साध अर्थ में वैदिक प्रयोग विषय में) ढ प्रत्यय होता है।
दक्-Vil. 32 C-V.III. 102
(प्रथमासमर्थ देवतावाची अग्नि प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ (शिला शब्द से इवार्थ में) ढ प्रत्यय होता है। में) ढक प्रत्यय होता है। .-VIII. 1.31
हक्-IV. 1.96 (हकार के स्थान में) ढकार आदेश होता है, (झल परे (नदी आदि प्रातिपदिकों से शैषिक) ढक् प्रत्यय होता रहते या पदान्त में)।