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ट्वितः
टीटच्.. - V. ii. 31
टे: -VII.i. 88 देखे - टीटाटच्० v. ii. 31
(पथिन्, मथिन् तथा ऋभुक्षिन् भसञक अङ्गों के) टीटनाटनटचः -v.ii. 31
टिभाग का (लोप होता है)। (आ उपसर्ग प्रातिपदिक से 'नासिकासम्बन्धी झुकाव
टे-VIII. ii. 82 को कहना हो तो सञ्जाविषय में) टीटच, नाटच तथा (यह अधिकारसूत्र है। पाद की समाप्तिपर्यन्त सर्वत्र घंटच् प्रत्यय होते हैं।
'वाक्य के) टिभाग को (प्लुत उदात्त होता है' ऐसा अर्थ ....... - I. iii. 5
होता जायेगा। देखें - बिटुडवः I. iii.5
टे-VIII. ii. 89 ....८: - VIII. iv. 40
(यज्ञकर्म में अन्तिम पद की) टिभाग को (प्रणव अर्थात
ओम आदेश होता है और वह प्लुत उदात्त होता है)। देखें- VIII. iv.40
टेण्यण - V. iii. 115 ....टुक् - VIII. iii. 28
(शस्त्रों से जीविका कमाने वाले पुरुषों के समूहवाची देखें - कुक्टुक् VIII. iii. 28
वृकं प्रातिपदिक से स्वार्थ में) टेण्यण् प्रत्यय होता है। ...टू-I. iii.7
टो: - VIII. iv. 41 देखें - चुटू i. ii.7
(पदान्त) टवर्ग से उत्तर (सकार और तवर्ग को षकार टे-III. iv.79
और टवर्ग नहीं होता, नाम् को छोड़कर)। (टित् अर्थात् लट्, लिट्, लुट, लट्, लेट, लोट् लकारों ट्यण् - IV. ii. 29 के जो आत्मनेपद त,आताम,झ आदि आदेश,उनके) टि
(प्रथमासमर्थ देवतावाची सोम शब्द से षष्ठ्यर्थ में) भांग को (एकार आदेश हो जाता है)। '
ट्यण् प्रत्यय होता है। टे- V. iii. 71
ट्यु... - IV. iii. 23 (अव्यय तथा सर्वनामवाची प्रातिपदिकों से एवं तिङन्तों
.. देखें - ट्युट्युलौ० V. ii. 23 . से इवार्थ से पहले पहले अकच् प्रत्यय होता है और वंह) टि भाग से (पूर्व होता है)।
ट्युट्युलौ - IV. iii. 23
(कालवाची सायं चिरं प्राहे. प्रगे तथा अव्यय प्रातिपटे-VI.ii.91
दिकों से) ट्यु तथा ट्युल प्रत्यय होते हैं (तथा इन प्रत्ययों - (विष्वग तथा देव शब्दों के तथा सर्वनाम शब्दों के) को तुट आगम भी होता है)। टिभाग को (अद्रि आदेश होता है, वप्रत्ययान्त अञ्जु धातु ...ट्युलौ - IV. iii. 23 के परे रहते)।
देखें - ट्युट्युलौ IV. iii. 23 टे-VI. iv. 143
ट्ल - IV. iii. 139 (भसज्जक अङ्ग के) टि भाग का (लोप होता है, डित् (षष्ठीसमर्थ शमी प्रातिपदिक से विकार और अवयव प्रत्यय के परे रहते)।
अर्थों में) टल प्रत्यय होता है। टे: - VI. iv. 155
ट्वित: - III. iii. 89 (इष्ठन्, इमनिच् तथा ईयसुन् परे रहते भसञक अङ्ग टु इत्संज्ञक है जिन धातुओं का,उनसे (कर्तृभिन्न कारक के) टि भाग का (लोप होता है)।
संज्ञा तथा भाव में अथुच् प्रत्यय होता है)।