________________
274
ठ-प्रत्याहारसूत्र XI
ठक्-IV. 1. 62 आचार्य पाणिनि द्वारा अपने ग्यारहवें प्रत्याहार सूत्र में (वसन्तादि प्रातिपदिकों से 'तदधीते तद्वेद' अर्थों में) ठक् पठित चतुर्थ वर्ण।
प्रत्यय होता है। पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी के आदि में पठित वर्णमाला
...ठक: -IV. 1.79 का तेतीसवां वर्ण।
देखें - दुञ्छण्कठ• IV. ii. 79 ठ... - V. iii. 3
ठक्.. - IV. ii. 83 देखें-ठाजादौ vili.3
देखें- ठक्छौ ।.ii. 83 ....ठक्... - IV. 1. 15 देखें - टिहाण .1.15 .
ठक्-V.ii. 101
. ठक्-IV.1.146
(कन्था प्रातिपदिक से शैषिक) रेवती आदि शब्दों से अपत्य अर्थ में) ठक प्रत्यय होता ठक्... -IV.ii. 114
देखें- ठक्छसौ IV.ii. 114. ठक्-IV.I. 148
ठक्-IV. iii. 18 (सौवीर गोत्र में वर्तमान वृद्धसंज्ञक प्रातिपदिकों से (वर्षा प्रातिपदिक से शैषिक) ठक् प्रत्यय होता है। अपत्य अर्थ में बहुल करके) ठक् प्रत्यय होता है, (दुर्वचन
ठक् -IV.ii. 40 या घृणा गम्यमान होने पर)।
(सप्तमीसमर्थ उपजानु, उपकर्ण, उपनीवि शब्दों से ठक् - IV.ii.2
'प्रायभवः' अर्थ में) ठक् प्रत्यय होता है। (तृतीयासमर्थ रागविशेषवाची लाक्षा तथा रोचना प्राति
ठक्- V.I11.72 पदिकों से 'रंगा गया' अर्थ में) ठक प्रत्यय होता है।
(षष्ठी तथा सप्तमीसमर्थ व्याख्यातव्यनाम जो दो अच् ठक् -v.ii. 17
वाले प्रातिपदिक,ऋकारान्त, ब्राह्मण,ऋक्,प्रथम, अध्वर, (सप्तमीसमर्थ दधि प्रातिपदिक से 'संस्कृतं भक्षाः' अर्थ
पुरश्चरण, नाम तथा आख्यात प्रातिपदिक-इनसे भव, में) ठक् प्रत्यय होता है।
व्याख्यान अर्थों में) ठक् प्रत्यय होता है। ठक् - IV. ii. 21
ठक् - IV.ii. 75 . (प्रथमासमर्थ पौर्णमासी शब्द के साथ समानाधिकरण (पक्षमीसमर्थ आयस्थानवाची प्रातिपदिकों से आगत वाले आग्रहायणी तथा अश्वत्थ शब्दों से सप्तम्यर्थ में) अर्थ में) ठक् प्रत्यय होता है। ठक् प्रत्यय होता है।
ठक् -IV.ii. 96 ठक्-IV. 1.46 (षष्ठीसमर्थ अचेतनवाची तथा हस्तिन् और धेनु शब्दों
(प्रथमासमर्थ भक्तिसमानाधिकरणवाची जो देश, काल से समूहार्थ में) ठक् प्रत्यय होता है।
को छोड़कर अचेतनवाची प्रातिपदिक, उनसे षष्ठ्यर्थ में)
ठक् प्रत्यय होता है। ठक् - Iv.ii. 59 (द्वितीयासमर्थ क्रत विशेषवाची,उक्थादि तथा सूत्रान्त
ठक्-V.1. 108 प्रातिपदिकों से अध्ययन तथा जानने का कर्ता अभिधेय ___ (अगुल्यादि प्रातिपदिकों से इवार्थ में) ठक् प्रत्यय हो तो) ठक् प्रत्यय होता है।
होता है।