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ज्ञा...
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ज्वलितिकसन्तेभ्यः
ज्ञा... - VII. iii.79
ज्यायसि - IV.i. 164 देखें-ज्ञाजनो: VII. iii. 79
बडे (भाई के जीवित रहते पौत्रप्रभृति का जो अपत्य ज्ञाजनो: - VII. iii. 79
छोटा भाई, उसकी भी युवा संज्ञा हो जाती है)। ज्ञा तथा जनी अङ्ग को शित् प्रत्यय परे रहते जा आदेश ....ज्येष्ठाभ्याम् – V. iv. 41 होता है)।
- देखें - वृकज्येष्ठाभ्याम् V. iv. 41 ...ज्ञात्याख्येभ्यः -VI. ii. 133
ज्योतिरायुषः - VIII. iii. 83 देखें-आचार्यराज VI. ii. 133
ज्योतिस् तथा आयुस् शब्द से उत्तर (स्तोम शब्द के ... ज्ञात्यो: - V.i. 126
सकार को समास में मूर्धन्य आदेश होता है)। देखें - कपिज्ञात्यो: V. 1. 126
ज्योतिस्... - VI. iii. A. ज्ञा स्मृदृशाम् -I. iii. 57
देखें - ज्योतिर्जनपद० VI. iii. 84 ज्ञा, श्र. स्म, दृश् - इन धातुओं के (सन्नन्त से परे ज्योतिर्जनपदरात्रिनाभिनामगोत्ररूपस्थानवर्णवयोवचनआत्मनेपद होता है)।
बन्धुषु-VI. iii. 84 ...ज्ञान.. -I.ii.37
ज्योतिस्, जनपद, रात्रि, नाभि, नाम, गोत्र, रूप, स्थान, देखें-सम्माननोत्सजन० 1. iii. 37
वर्ण, वयस्, वचन, बन्धु-इन शब्दों के उतरपद रहते ...ज्ञान... -I. iii. 47
(समान को स आदेश हो जाता है) देखें-भासनोपसम्भाषा I. iii. 47
ज्योतिस्:... - VIII. iii. 83 ज्ञीप्यमानः -I. iv. 34
देखें - ज्योतिरायुषः VIII. iii. 83 (श्लाघ, हनुङ्, स्था, शप-इन धातुओं के प्रयोग में) ज्योत्स्ना... -v.ii. 114 जो जनाये जाने की इच्छा वाला है,वह (कारक सम्प्रदान देखें - ज्योत्स्नातमिस्राov.i: 114 संज्ञक होता है।)
ज्योत्स्नातमिस्राङ्गिणोर्जस्विनूर्जस्वलगोमिन्मलिनशुः -V.iv. 129
मलीमसाः - V.ii. 114 - (बहव्रीहि समास में प्रतथा सम से उत्तर जो जानु शब्द,
ज्योत्स्ना, तमिस्रा, ङ्गिण, ऊर्जस्विन. ऊर्जस्वल, उसके स्थान में समासान्त) जु आदेश होता है।
गोमिन, मलिन तथा मलीमस शब्दों का निपातन किया ज्य -v.ii. 61
जाता है (मत्वर्थ' में)। . (प्रशस्य शब्द के स्थान अजादि में अर्थात् इष्ठन्,ईय
३१ ज्वर... -VI. iv. 20 सुन् प्रत्यय परे रहते) ज्य आदेश (भी) होता है।
देखें -ज्वरत्वरo VI. iv. 20 ...ज्य.. - VI. ii. 25
ज्वरत्वरस्त्रिव्यविमवाम् - VI. iv. 20 देखें-अज्या० VI. ii, 25
ज्वर, त्वर, त्रिवि, अव, मव् इन अङ्गों के (वकार तथा ज्य: -VI.i. 41
उपधा के स्थान में ऊठ आदेश होता है, क्वि तथा झलादि (ल्यप् परे रहते) ज्या धातु को (भी सम्प्रसारण नहीं होता एवं अनुनासिकादि प्रत्ययों के परे रहते)।
...ज्वल... - III. ii. 150 ...ज्या...-VI.i. 16
देखें-जुचक्रम्य III. ii. 150 देखें - अहिज्या० VI.i. 16
ज्वलितिकसन्तेभ्यः - III. I. 140 ज्यात् - VI. iv. 160
'ज्वल' दीप्त्यर्थक धातु से लेकर 'कस्' गत्यर्थक धातु ज्य अङ्ग से उत्तर (ईयस् को आकार आदेश होता है)। पर्यन्त धातुओं से विकल्प से 'ण' प्रत्यय होता है)।