________________
च - Viv. 33
(अनित्य वर्ण में तथा रङ्ग हुआ अर्थ में वर्त्तमान काल प्रातिपदिक से) भी (कन् प्रत्यय होता है) ।
च - Viv. 38
(प्रज्ञादि प्रातिपदिकों से) भी (स्वार्थ में अन् प्रत्यय होता
I
च - Viv. 41
(प्रशंसाविशिष्ट' अर्थ में वर्त्तमान वृक तथा ज्येष्ठ प्रातिपदिकों से यथासङ्ख्य करके तिल तथा तातिल् प्रत्यय) भी होते हैं, वेदविषय में)।
च - Viv. 43
(सहख्यावाची प्रातिपदिकों से तथा एक अर्थ को कहने वाले प्रातिपदिकों से) भी (विकल्प से शस् प्रत्यय होता है वीप्सा द्योतित हो रही हो तो) ।
च
229
-
V. iv.-45
(अपादान कारक में) भी (जो पचमी, तदन्त से विकल्प सेतसि प्रत्यय होता है, यदि वह अपादान कारक हीय और रुह सम्बन्धी न हो तो) ।
-V. iv. 47
(हीयमान तथा पाप शब्द के साथ सम्बन्ध है जिन शब्दों का, तदन्त शब्दों से परे) भी (जो तृतीयाविभक्ति, तदन्त से विकल्प से तसि प्रत्यय होता है, यदि वह तृतीया कर्त्ता में हुई हो तो) ।
च - Viv. 49
(चिकित्सा' गम्यमान हो तो रोगवाची शब्द से परे) भी (जो षष्ठी विभक्ति, तदन्त प्रातिपदिक से विकल्प से तसि प्रत्यय होता है)।
च - Viv. 53
( अभिव्याप्ति' गम्यमान हो तो कृ भू तथा अस् धातु के योग में तथा सम्-पूर्वक पद धातु के योग में) भी ( विकल्प से साति प्रत्यय होता है) ।
च - Viv. 55
. (देने योग्य वस्तु तदधीनवचन वाच्य हो तो कृ, भू तथा अस् के योग में तथा सम्-पूर्वक पद के योग में त्रा) तथा (साति प्रत्यय होते हैं)।
- V. iv. 59
(गुण शब्द अन्त वाले सङ्ख्यावाची प्रातिपदिकों से) भी (कृञ् के योग में कृषि अभिधेय हो तो डाच् प्रत्यय होता है)।
च - Viv. 60
( बिताना' अर्थ गम्यमान हो तो समय प्रातिपदिक से) भी (डाच् प्रत्यय होता है, कृञ् के योग में) ।
च - Viv. 87
(अहर, सर्व, एकदेशवाचक शब्द, सङ्ख्यात तथा पुण्य शब्दों से उत्तर तथा सङ्ख्या और अव्यय से उत्तर) भी (जो रात्रिशब्द, तदन्त तत्पुरुष से समासान्त अच् प्रत्यय होता है)।
च - Viv. 90
(उत्तम और एक शब्दों से परे) भी (तत्पुरुष समास में अहन् शब्द को अह्न आदेश नहीं होता) ।
a - V. iv. 95
(पाम तथा कौट शब्दों से उत्तर तक्षन् शब्दान्त तत्पुरुष से) भी (समासान्त टच् प्रत्यय होता है)।
-V. iv. 98
(उत्तर, मृग और पूर्व से उत्तर तथा उपमानवाची शब्दों से उत्तर) भी (जो सक्थि शब्द, तदन्त तत्पुरुष से समासान्त टच् प्रत्यय होता है)।
च - Viv. 100
(अर्ध शब्द से उत्तर) भी (जो नौ शब्द, तदन्त तत्पुरुष से समासान्त टच् प्रत्यय होता है)।
च - Viv. 108
(अव्ययीभाव समास में वर्तमान अत्र प्रातिपदिक से) भी (समासान्त टच् प्रत्यय होता है)।
च - Viv. 112
(अव्ययीभाव समास में वर्त्तमान गिरि शब्दान्त प्रातिपदिक से) भी (समासान्त टच् प्रत्यय विकल्प से होता है, सेनक आचार्य के मत में) ।
च - Viv. 117
(अन्तर् ' तथा बहिस् शब्दों से उत्तर) भी (जो लोमन् शब्द, तदन्त बहुव्रीहि से समासान्त अप् प्रत्यय होता है) ।