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च-v.ii. 116
च-IV. iii.6 (वाहीक देश के जो ग्राम, तद्वाची वृद्ध-संज्ञक प्रातिप- (दिशावाची पूर्वपद वाले अर्घ प्रातिपदिक से शैषिक दिक से) भी (शैषिक ठञ् तथा त्रिठ् प्रत्यय होते हैं)। ठज्) और (यत् प्रत्यय होते हैं)। च-IV.ii. 121
च - IV. iii. 14 )
(निशा,प्रदोष कालविशेषवाची शब्दों से) भी विकल्प (प्रस्थ, पुर, वह अन्त वाले जो देशवाची वद्ध-संज्ञक प्रातिपदिक,उनसे) भी (शैषिक वज प्रत्यय होता है)।
से ठञ् प्रत्यय होता है)।
च-IV. iii. 15 च -IV.ii. 123
(कालविशेषवाची श्वस प्रातिपदिक से विकल्प से ठन (जनपद तथा जनपद अवधि को कहने वाले वृद्ध-संज्ञक
प्रत्यय होता है,तथा उस प्रत्यय को तुट का आगम) भी प्रातिपदिकों से) भी (शैषिक वुञ् प्रत्यय होता है)।
(होता है)। च-IV.ii. 126
च-IV. iii. 20 (देशविशेषवाची धूमादिगणपठित प्रातिपदिकों से) भी (कालवाची वसन्त प्रातिपदिक से) भी (वेदविषय में ठञ् (शैषिक वुञ् प्रत्यय होता है)।
प्रत्यय होता है)। च-IV. ii. 132
च-IV. iii. 21 (देशविशेषवाची कच्छादि प्रातिपदिकों से) भी (शैषिक ___ (कालवाची हेमन्त शब्द से) भी (वेद-विषय में ठञ् अण् प्रत्यय होता है)।
प्रत्यय होता है)। च-IV. 11. 135
च-IViii. 22 (गो तथा यवागू अभिधेय हों तो) भी (देशवाची साल्व
(हेमन्त प्रातिपदिक से वैदिक तथा लौकिक प्रयोग में शब्द से शैषिक वुड् प्रत्यय होता है)।
अण) तथा (ठञ् प्रत्यय होते हैं,तथा उस अण् के परे रहते
हेमन्त शब्द के तकार का लोप भी होता है)। च-IV.ii. 137
च-IV.ii. 23 (गहादि प्रातिपदिकों से) भी (शैषिक छ प्रत्यय होता
(कालवाची सायं,चिरं, प्राहे.प्रगे तथा अव्यय प्रातिप
दिकों से ट्यु तथा ट्युल प्रत्यय होते हैं. और इन प्रत्ययों च-IV.ii. 139
को तुट आगम) भी (होता है)। . (राजन् शब्द से शैषिक छ प्रत्यय होता है, तथा उसको
च-IV.ii. 29 के अन्तादेश) भी होता है)।
(सप्तमीसमर्थ पथिन प्रातिपदिक से 'जात' अर्थ में वुन् च-IV. 1. 142
प्रत्यय होता है,तथा प्रत्यय के साथ-साथ पथिन् को पन्थ (पर्वत शब्द से) भी (शैषिक छ प्रत्यय होता है)। आदेश) भी होता है)। च-IVill.1
च-IV. iii.31 (युष्मद् तथा अस्मद् शब्दों से खञ् तथा) चकार से
(अमावास्या प्रातिपदिक से 'जात' अर्थ में अप्रत्यय) छ प्रत्यय (विकल्प से होते हैं, पक्ष में औत्सर्गिक अण।
भी (होता है)। होता है)।
च-IV. iii. 33 च-IV. ifi.2 . (उस अण) तथा (ख प्रत्यय के परे रहते युष्मद् अस्मद्
(सिन्धु और अपकर शब्दों से यथाक्रम अण् और अञ् के स्थान में क्रमशः युष्माक.अस्माक आदेश होते है)।
प्रत्यय) भी (होते हैं)। च-IV. iii.5
च-IV. iii. 35 (पर, अवर, अधम, उत्तम - ये शब्द पूर्व में है जिनके,. (स्थान शब्द अन्त वाले,गोशाल तथा खरशाल प्रातिपऐसे अर्घ शब्द से) भी शैषिक यत प्रत्यय होता है। दिकों से) भी (जातार्थ में उत्पन्न प्रत्यय का लक होता है)।