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च-V.I. 175 (स्त्रीलिङ्ग अभिधेय हो, तो तद्राज-संज्ञक अकार प्रत्यय का) भी (लुक् हो जाता है)। च-IV. 1.27 (प्रथमासमर्थ टेवतावाची अपोनप्त तथा अपांनप्त शब्दों से छ प्रत्यय) भी (होता है)। च-IV. 1. 28
(प्रथमासमर्थ देवतावाची महेन्द्र प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में घ, अण) तथा (छ प्रत्यय भी होते हैं)। च-IV. 1.31
(प्रथमासमर्थ देवतावाची द्यावापृथिवी, शुनासीर, मरुत्वत्, अग्नीषोम, वास्तोष्पति तथा गृहमेध प्रातिपदिकों से छ) तथा (यत् प्रत्यय होता है)। च-IV. II. 39 (षष्ठीसमर्थ केदार शब्द से यज्) तथा (चकार से वुञ् प्रत्यय होता है)। च-v.ii. 40 (षष्ठीसमर्थ कवचिन् शब्द से समूह अर्थ में ठन प्रत्यय) भी (होता है)। च-IV.II. 44 (षष्ठीसमर्थ खण्डिकादि प्रादिपदिकों से) भी (समूहार्थ को कहने में अब प्रत्यय होता है)। च - IV.II.50
(षष्ठीसमर्थ खल.गो.रथ प्रातिपदिकों से समूह अर्थ में यथासङ्ख्य इनि,त्र तथा कट्यच् प्रत्यय) भी (होते हैं)। च-IV.ii.64 (द्वितीयासमर्थककार उपधावाले सूत्रवाची प्रातिपदिकों से) भी (तदधीते तद्वेद' अर्थ में उत्पन्न प्रत्यय का लुक् हो जाता है)। च-IV. 1.65 (प्रोक्तप्रत्ययान्त छन्द और ब्राह्मणवाची शब्द) भी (अध्येत, वेदितृ-प्रत्यय-विषयक होते हैं, अन्य प्रोक्तप्र- त्ययान्त शब्दों का केवल प्रोक्त अर्थमात्र में ही प्रयोग होता है।
च-IV. 1.69
(षष्ठीसमर्थ प्रातिपदिक से निकट होने के अर्थ में) भी (यथाविहित प्रत्यय होते हैं)। च-IV. 1.71
(जिस मतप के परे रहते बहत अच वाला अङ्ग हो उस मत्वन्त प्रातिपदिक से) भी (अञ् प्रत्यय होता है)। च-IV. 1.73
विपाट् नदी के किनारे पर जो कुएँ हैं, उनके अभिधेय होने पर) भी (अञ् प्रत्यय होता है)। च - IV. ii. 74 (सङ्कलादि प्रातिपदिकों से) भी (चातुर्थिक अञ् प्रत्यय होता है)। च-IV. ii. 78 (ककार उपधा वाले प्रतिपदिक से) भी (चातुरर्थिक अण् प्रत्यय होता है)। च-IV. 1.81
(वरणादि प्रातिपदिकों से विहित जो चातुरर्थिक प्रत्यय, उसका) भी (लुप् होता है)। च-IV. 1.83 (शर्करा शब्द से चातुरर्थिक ठक तथा छ प्रत्यय) भी होते है। च-IV.ii.85
(मधु आदि प्रातिपदिकों से) भी (चातुरर्थिक मतपप्रत्यय होता है)। च-IV. 1.90 (नडादि शब्दों को चातुर्थिक छ प्रत्यय) तथा (कुक् का आगम होता है)। च-IV. 1.99
(रङ्कु शब्द से मनुष्य अभिधेय न हो तो अण) और (फक प्रत्यय होते है)। च-IV. ii. 108
(अन्तोदात्त बहुत अच् वाले उत्तर दिशा में होने वाले ग्रामवाची प्रातिपदिकों से) भी (अब् प्रत्यय होता है)। च- IV. ii. 111
(गोत्रप्रत्ययान्त इबन्त प्रातिपदिकों से) भी (अण् प्रत्यय होता है)।