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च-IV.I.7
च-IV.1.54 (वन्नन्त प्रातिपदिकों से स्त्रीलिङ्ग में ङीप प्रत्यय होता है (स्वाङ्गवाची जो उपसर्जन, असंयोग उपधावाले अदन्त तथा उस वन्नन्त प्रातिपदिक को रेफ अन्तादेश) भी (हो प्रातिपदिक, उनसे) भी (स्त्रीलिङ्ग में विकल्प से डीप प्रत्यय जाता है)।
होता है)। च-IV.i.16
च-IV.i. 55 (अनुपसर्जन यजन्त प्रातिपदिक से) भी (स्त्रीलिङ्ग में डीप् (नासिका,उदर इत्यादि जो स्वाङ्गवाची उपसर्जन,तदन्त प्रत्यय होता है)।
प्रातिपदिकों से) भी (स्त्रीलिङ्ग में विकल्प से ङीष प्रत्यय च-IV.I. 19
होता है, पक्ष में टाप भी होता है)। (कोरव्य तथा माण्डूक अनुपसर्जन प्रातिपदिकों से) भी च-IV.1.57 (स्त्रीलिङ्ग में ष्फ प्रत्यय होता है, और वह तद्धित-संज्ञक (सह, नज, विद्यमान- ये शब्द पूर्व में हों और स्वार होता है)।
वाची उपसर्जन अन्त में हो जिनके, उन प्रातिपदिकों से) च-IV.I.27
भी (स्त्रीलिङ्ग में ङीष् प्रत्यय नहीं होता)। (संख्या आदि वाले दाम और हायन शब्दान्त बहुव्रीहि च-IV.1.59 प्रातिपदिक से) भी (स्त्रीलिङ्ग में डीप् प्रत्यय होता है)। (वेद-विषय में डोष्-प्रत्ययान्त दीर्घजिही शब्द) भी च-IV.1.30
.. (निपातन होता है)। (केवल, मामक आदि शब्दों से) भी (संज्ञा तथा छन्द च-IV. 1.64 विषय में स्त्रीलिङ्ग में डीप् प्रत्यय होता है)।
(पाक, कर्ण, पर्ण, पुष्प, फल, मूल, वाल - शब्द च-IV.I.31
उत्तरपद में हो तो) भी (जातिवाची प्रातिपदिक से स्त्रीलिङ्ग (रात्रि शब्द से) भी (स्त्रीलिङ्ग विवक्षित होने पर जस्
में अष् प्रत्यय होता है)। विषय से अन्यत्र, संज्ञा तथा छन्द-विषय में डीप् प्रत्यय
च-IV.I. 68 होता है)।
(पङ्ग शब्द से) भी (स्त्रीलिङ्ग में ऊङ् प्रत्यय होता है)। च-IV. 1. 36.
च-IV.1.70 (अनुपसर्जन प्रतक्रतु प्रातिपदिक से स्त्रीलिङ्ग में डीप
अनुपसजन पूतक्रतु प्रातिपादक स लाला म प् (संहित,शफ.लक्षण,वाम आदि वाले ऊरूत्तरपद प्रातिप्रत्यय होता है, तथा ऐकार अन्तादेश) भी हो जाता है। पदिकों से) भी (स्त्रीलिङ्ग में ऊङ् प्रत्यय होता है)। च-IV.i.41
च-IV.1.75 (षित् प्रातिपदिकों तथा गौरादि प्रातिपदिकों से) भी (अनुपसर्जन आवट्य शब्द से) भी (स्त्रीलिङ्ग में चाप् (स्त्रीलिङ्ग में डीप् प्रत्यय होता है)।
प्रत्यय होता है)। च-IV.i. 45
च-IV.I.80 (बहु आदि प्रातिपदिकों से) भी (स्त्रीलिङ्ग में विकल्प से (गोत्र में वर्तमान क्रौड्यादि प्रातिपदिकों से) भी (स्त्रीलिङ्ग ङीष् प्रत्यय होता है)।
में ष्यङ् प्रत्यय होता है)। च-IV.i.47
च-IV.I.84 (वेद-विषय में अनुपसर्जन भू-शब्दान्त प्रातिपदिकों से)
(अश्वपति आदि समर्थ प्रातिपदिकों से) भी (प्राग्दीव्यभी (स्त्रीलिङ्ग में नित्य ही ङीष् प्रत्यय होता है)।
तीय अर्थों में अण प्रत्यय होता है)। च-IV.i. 52
च-IV.1.96 (बहुव्रीहि समास में) भी (जो क्तान्त अन्तोदात्त प्राति- (बाहु आदि प्रातिपदिकों से) भी (तस्यापत्यम्' अर्थ में पदिक,उनसे स्त्रीलिङ्ग में ङीष् प्रत्यय होता है)।
इञ् प्रत्यय होता है)।