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1.105
च-i.iv.86 (उप शब्द अधिक) तथा (हीन अर्थ द्योतित होने पर कर्मप्रवचनीय और निपातसंज्ञक होता है)। च-I.v.94
(अति शब्द की उल्लान) और (पजा अर्थ में कर्मप्रव- चनीय तथा निपात संज्ञा होती है)। च-I.iv. 103
(सुपों और तिडों के तीन-तीन की विभक्ति संज्ञा) भी (हो जाती है)। च-I.V. 105
(परिहास गम्यमान हो रहा हो तो भी मन्य है उपपद जिसका,ऐसी धातु से युष्मद् उपपद रहते,समान अभिधेय होने पर युष्मद् शब्द का प्रयोग हो या न हो तो भी मध्यम पुरुष हो जाता है,तथा उस मन् धातु से उत्तम पुरुष हो जाता है और उस उत्तम पुरुष को एकत्व) भी (हो जाता है)। च-I. iv. 105
(परिहास गम्यमान हो रहा हो तो) भी (मन्य है उपपद जिसका,ऐसी धातु से युष्मद् उपपद रहते समान अभिधेय होने पर युष्मद् शब्द का प्रयोग हो या न हो तो भी मध्यम पुरुष हो जाता है तथा उस मन धातु से उत्तम परुष हो जाता है और उस उत्तम पुरुष को एकत्व भी हो जाता है)। च-II. 1. 15
(अनु जिसका आयामवाची = दीर्घतावाची है,ऐसे लक्षणवाची समर्थ सुबन्त के साथ) भी (अन का विकल्प से समास होता है और वह अव्ययीभाव समास होता है। च-II.1.16 . (तिष्ठद्गु इत्यादि समुदायरूप शब्दों की) भी (अव्ययीभावसंज्ञा निपातन से होती है)। च-II.1.19 (सङ्ख्यावाची सुबन्तों का नदीवाची समर्थ सुबन्तों के साथ) भी (विकल्प से अव्ययीभाव समास होता है)। च-II.1.20
(अन्यपदार्थ गम्यमान होने पर भी (संज्ञाविषय में , सुबन्त का नदीवाची समर्थ सुबन्त के साथ अव्ययीभाव
समास होता है)।
च-II.1.22 (द्विगु समास) भी (तत्पुरुष संज्ञक होता है)। च-II.1.28 ,
(अत्यन्तसंयोग गम्यमान होने पर) भी (कालवाची द्वितीयान्त शब्दों का समर्थ सुबन्तों के साथ विकल्प से समास होता है, और वह तत्पुरुष समास होता है)। च-II.1.40 (सिद्ध,शुष्क,पक्व,बन्ध-इन समर्थ सुबन्तों के साथ) भी (सप्तम्यन्त सुबन्त का विकल्प से समास होता है और वह तत्पुरुष समास होता है)। च-II. I. 47
(पात्रेसम्मित आदि शब्द) भी (निन्दा गम्यमान होने पर समुदायरूप तत्पुरुष समासान्त निपातन किये जाते है)। च-II.1.50
(तद्धितार्थ का विषय उपस्थित रहने पर,उत्तरपद परेरहते तथा समाहार वाच्य होने पर) भी (दिशावाची तथा सङ्ख्यावाची सुबन्तों का समर्थ समानाधिकरणवाची सबन्तों के साथ विकल्प से समास होता है और वह तत्पुरुष होता है)। च -II..57 (पूर्व, अपर, प्रथम, चरम, जघन्य, समान, मध्य, मध्यम, वीर-इनका विशेषणवाची सबन्तों के साथ विकल्प से तत्पुरुष समास होता है)। च -II.1.65 (जातिवाची सुबन्त प्रशंसावाची समानाधिकरण समर्थ सुबन्तों के साथ) भी (विकल्प से समास को प्राप्त होता है, और वह तत्पुरुष समास होता है)। च-II. 1.71
(मयूरव्यंसकादिगणपठित समुदाय रूप शब्द) भी (समानाधिकरण तत्पुरुषसंज्ञक निपातित है)। च-II. 1.4
(प्राप्त, आपन्न सुबन्त) भी (द्वितीयान्त सुबन्त के साथ विकल्प से समास को प्राप्त होते हैं और वह तत्पुरुष समास होता है)। च-II. 1.9
(याजकादि सुबन्तों के साथ) भी (षष्ठ्यन्त सुबन्त का समास होता है और वह तत्पुरुष समास होता है)।