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ड्वनिप्
डि.. - IV.1.1
देखें - झ्याप्रातिपदिकात् N.1.1 ....... - VI. 1.66
देखें- हल्याळ्यः VI.1.66 डी... - VI. iii. 22
देखें-यापः VI. ill. 22 डीन्- IV.I.73
(अनुपसर्जन जातिवाची शारिवादि तथा अजन्त प्रातिपदिकों से स्त्रीलिङ्ग में) डीन् प्रत्यय होता है। डीप-10.15
(ऋकारान्त तथा नकारान्त प्रातिपदिकों से स्त्रीलिङ्ग में) ङीप् प्रत्यय होता है। अप्- IV. 1. 26 (संख्या आदि वाले तथा अव्यय आदि वाले ऊघस्शब्दान्त बहुव्रीहि समास वाले प्रातिपदिक से) डीप् प्रत्यय होता है। डीप-V.1.60 (दिशा पूर्वपद है जिसमें, ऐसे प्रातिपदिक से स्त्रीलिङ्ग में) डीप् प्रत्यय होता है।
- IV. 1.25 (बहुव्रीहि समास में वर्तमान ऊधस्-शब्दान्त प्रातिपदिक से स्त्रीलिङ्ग में) डीष् प्रत्यय होता है। अप- IV. 1. 40 (तोपध वर्णवाची प्रातिपदिकों से अन्य जो वर्णवाची अदन्त अनुदात्तान्त प्रातिपदिक,उनसे स्त्रीलिङ्ग में) ङीष् प्रत्यय होता है। ....... - IV.1.2 . देखें- स्वौजसमौट्o V.1.2 हे - VII. 1. 28
(युष्मद् तथा अस्मद् अङ्ग से उत्तर) डे विभक्ति के स्थान में अम् आदेश होता है)।
D-VII. I. 13
(अकारान्त अङ्ग से उत्तर) 'डे' के स्थान में (य आदेश हो जाता है)। हे - VII. iii. 116 (नदीसंज्ञक, आबन्त तथा नी से उत्तर) ङि विभक्ति के स्थान में (आम् आदेश होता है)। जै-VI. iii. 109 (संख्या,वि तथा साय पूर्व वाले अह शब्द को विकल्प करके अहन् आदेश होता है), ङि परे रहते। लो: - VIII. ii. 28 (पदान्त) डकार तथा णकार को (यथासंख्य करके विकल्प से कुक् तथा टुक् आगम होते हैं, शर् प्रत्याहार परे रहते)। ड्यः - VI. iii. 42
(भाषितपुंस्क शब्द से उत्तर) ङ्यन्त (अनेकाच्) शब्द का (हस्व हो जाता है; घ, रूप, कल्प, चेलट्, बुव, गोत्र, मत तथा हत शब्दों के परे रहते)। ड्याः - VI. 1. 172
(वेदविषय में) ङ्यन्त शब्द से उत्तर (बहुल करके नाम् विभक्ति को उदात्त होता है)। झ्याप: - VI. il. 62
ड्यन्त तथा आबन्त शब्दों को (संज्ञा तथा छन्द-विषय में उत्तरपद परे रहते बहुल करके हस्व होता है)। झ्याप्पातिपदिकात् - IV.i.1
(यहाँ से आगे कहे हुए सु आदि प्रत्यय) ङ्यन्त,आबन्त तथा प्रातिपदिक से ही हुआ करेंगे। ....ड्यो: - VII. I. 15
देखें- इसियो: VII. I. 15 ड्वनिप् - III. ii. 103
(षज तथा यज धात से भूतकाल में) ङ्वनिप् प्रत्यय होता है।