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डसिडसो:
इसिडसो:
(एङ् से उत्तर) ङसि तथा डस् का (अकार हो तो भी पूर्व पर के स्थान में पूर्वरूप एकादेश होता है, संहिता के विषय में) । डसिडसो: (अकारान्त सर्वनाम अग से उत्तर) ङसि तथा इस के स्थान में (क्रमशः स्मात् तथा स्मिन् आदेश होते हैं)।
VII. i. 15
...इसो - VI. 1. 106
-
- VI. i. 106
-
देखें- इसिङसो: VI. 1. 106
... डि... - IV. 1. 2
देखें
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fs... - VI. iv. 136
देखें डियो VI. iv. 136
स्वौजसमौट् IV. 1. 2
-
fs - VII. iii. 110
देखें डिसर्वनामस्थानयो: VII. II. 110
डि... - VIII. ii. 8
देखें - डिसम्बुद्ध्यो: VIII. it. 8
डित् 1.1.52
(षष्ठीनिर्दिष्ट का) डकार इत्संज्ञक आदेश (भी अन्त्य अल् के स्थान में होता है)।
डित् - Iii. 1
(गा एवं कुटादिगणपठित धातुओं से परे बित्, णित् भिन्न प्रत्यय) ङित्वत् = डित् के समान माने जाते हैं। डि- III. Iv. 103
202
(परस्मैपदविषयक लिङ्लकार को यासुट् का आगम होता है, और वह उदात्त तथा) ङिद्वत् भी होता है।
[...]डित् - VI. 1. 180
देखें तास्यनुदात्तेo VI. 1. 180
...डितः - I. iii. 12
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देखें- अनुदानडित 1. 12 डिल: - III. Iv. 99
डित्-लकारसम्बन्धी उत्तम पुरुष के सकार का नित्य
लोप हो जाता है)।
डिस- VII. II. 81
अकारान्त अङ्ग से उत्तर ङित् सार्वधातुक के अवयव - आकार के स्थान में इय् आदेश होता है।
डिति - L. 1. 5
देखें - डिति 1.1.5
fifa-1. Iv. 6
(स्त्रीलिङ्ग के वाचक ह्रस्व इकारान्त, उकारान्त शब्द तथा इय-उव-स्थानी ईकारान्त, उकारान्त व्याख्य शब्द भी) ङित् प्रत्यय के परे रहते (विकल्प से नदीसंज्ञक होते हैं)।
डिति - VI. 1.16
(ग्रह,ज्या,वय्,व्यघ्, वश्, व्यच्, ओव्रश्चू, प्रच्छ, भ्रस्ज्इन धातुओं को सम्मसारण हो जाता है) डि (तथा कित्) प्रत्यय के परे रहते।
....डिति - VI. Iv. 15
देखें विति VI. iv. 15
.....डिति - VI. Iv. 24
देखें विडति VI. in. 24
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डिसर्वनामस्थानयो:
...fefa-VI. iv. 63
देखें - क्डिति VI. iv. 63 ...डिति - VI. Iv. 98
देखें विडति VI. Iv. 98
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डिति - VII. I. 111
(धिसंज्ञक अङ्गको) डित् सुप् प्रत्यय परे रहते (गुण होता
है)।
..डिति - VII. iv. 22
देखें विडति VII. Iv. 22
.... डिल्स - VIL. III. 85
देखें- अविचिण् VII. III. 85
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डियो: - VI. iv. 136
ङि तथा शी विभक्ति के परे रहते (अन् के अकार का लोप विकल्प से होता है)
डिसम्बुद्धयो: - VIII. ii. 8
(प्रातिपदिक पद के अन्त का जो नकार, उसका) ङि तथा सम्बुद्धि परे रहते (लोप नहीं होता) । डिसर्वनामस्थानयो: VILL H. 110
(ऋकारान्त अङ्ग को) ङि तथा सार्वधातुक विभक्ति परे रहते (गुण होता है)।
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