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कृति
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कृत्योकेष्णुच्चार्वादयः
कृति -VIII. 1.2
कृत्यतृचः-III. III. 169 (सुवविधि, स्वरविधि, संज्ञाविधि तथा) कृत् विषयक (योग्य कर्ता वाच्य अथवा गम्यमान हो तो धातु से) (तुक की विधि करने में नकार का लोप असिद्ध होता कृत्यसंज्ञक तथा तृच प्रत्यय हो जाते हैं,(तथा चकार से
लिङ् भी होता है)। कृति - VIII. iv. 28
कृत्यल्युट -III. III. 113 . (अच् से उत्तर) कृत् में स्थित (जो नकार,उसको उपसर्ग कृत्यसंज्ञक प्रत्यय तथा ल्युट् प्रत्यय (बहुल अर्थों में में स्थित निमित्त से उत्तर णकारादेश होता है)।
होते है)। कृते-IV. iii. 87
कृत्या -III.1.95 (द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'उसको अधिकृत विषय
अधिकार सूत्र होने से इसके अधिकार में विहित प्रत्यय बनाकर) किया गया' अर्थ में (यथाविहित प्रत्यय होता है,
'कृत्य' संज्ञक होते हैं। लक्ष्य करके बनाया गया यदि ग्रन्थ हो तो)।
कृत्याः -III. iii. 163 कृते - IN. I. 116
(प्रेषण करना, कामचारपूर्वक आज्ञा देना, अवसरप्राप्ति (तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से ग्रन्था बनाने अर्थ में (यथा
अर्थों में धातु से) कृत्यसंज्ञक प्रत्यय होते हैं, (तथा लोट
भी होता है)। विहित प्रत्यय होता है)।
कृत्याः -III. iii. 171 ...कतेषु-VIII. II. 50 देखें-कःकरत VIII. 1.50
(आवश्यक और आधमर्ण्यविशिष्ट अर्थ हो तो धातु से)
कृत्यसंज्ञक प्रत्यय (भी) हो जाते हैं। ...कतो:-VII. Ill. 33 देखें-चिण्कतो: VII. II. 33
..कत्या : -VI. II.2
. देखें- तुल्यार्थ.VI. 1.2 कृत्य..-II.1.67
कृत्यानाम् -II. iii. 71 देखें-कृत्यतुल्याख्या II.1.67
कृत्य-प्रत्ययान्तों के प्रयोग होने पर (कर्तृ कारक में कृत्य.. -III. III. 113
विकल्प से षष्ठी विभक्ति होती है,न कि कर्म में) देखें-कृत्यल्युटः III. iii. 113
कृत्यार्थे -III. iv. 14 कत्य... -III. III. 169
कृत्यार्थ = भाव, कर्म गम्यमान होने पर (वेदविषय देखें-कत्यतयः III. 1. 169
में धातु से तवै, केन्, केन्य तथा त्वन् प्रत्यय होते हैं)। कृत्य.. -III. iv.70 देखें-कृत्यक्तखलाः III. iv.70
कृत्यैः - II. 1. 32 कृत्य.. -VI. 1. 160
(समर्थ) कृत्यप्रत्ययान्त (सुबन्तों) के साथ (कर्ता और देखें-कृत्योकेष्णु० VI. II. 160
करणवाची तृतीयान्तों का विकल्प से तत्पुरुष समास होता कृत्यक्तखलाः - III. iv. 70
है, अधिकार्थवचन गम्यमान होने पर)। कृत्यसंज्ञक प्रत्यय, क्त और खल अर्थ वाले प्रत्यय कृत्यः -II. 1.42 (भाव और कर्म में ही होते है)।
कृत्यप्रत्ययान्त के साथ (सप्तम्यन्त सुबन्त का तत्पुरुष कृत्यतुल्याख्या-II. 1.67
समास होता है, ऋण गम्यमान होने पर)। कृत्य तथा तुल्य के पर्यायवाची (सुबन्त) शब्द (अजा- कृत्योकेष्णुच्चार्वादयः - VI. 1. 160 तिवाची समानाधिकरण समर्थ सुबन्तों के साथ विकल्प (नञ् से उत्तर) कृत्यसंज्ञक,उक, इष्णुच् प्रत्ययान्त तथा से समास को प्राप्त होते हैं,और वह तत्पुरुष समास होता चार्बादिगणपठित उत्तरपद शब्दों को (भी अन्तोदात्त होता