SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ xvii हैं। जब कभी कोई द्वन्द्व या समस्या आई तो न्यास, पदमञ्जरी और महाभाष्य एवं वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी से भी परामर्श-साधन किया है । मैं इन सभी ग्रन्थकारों, विद्वानों का ऋणी हूँ, साथ ही इस कोश में किसी भी कारण से आये प्रत्येक दोष का दायित्व स्वयं का स्वीकार करता हूँ। सुधीजनों से क्षमाप्रार्थना के साथ आगे उनको दूर करने का प्रयत्न करूँगा, यही निवेदन कर सकता हूँ ।साथ ही विद्वानों से किसी भी सुझाव को मुझ तक निस्संकोच पहुँचाने का निवेदन भी करता हूँ। पाणिनि के बारे में मुझे कुछ भी यदि आता है तो इसके लिए मैं कीर्तिशेष पूजाह प० ज्योतिःस्वरूप जी, संस्थापक आचार्य, आर्ष गुरुकुल एटा के प्रति सश्रद्ध विनयावनत हूँ । लौकिक और व्यावहारिक संस्कृत ज्ञान के लिए स्व० डॉ० नरेन्द्रदेवसिंह शास्त्री, भूतपूर्व अध्यक्ष, संस्कृत-हिन्दी विभाग, बी. आर. कॉलिज आगरा को मैं सादर स्मरण करता हूँ। .. इस ग्रन्थ का पुरोवाक् लिखकर पाणिनि-शास्त्र के मूर्धन्य विद्वान् आचार्य डॉ० विद्यानिवास मिश्र ने जो स्नेह व्यक्त किया है; मैं उनका हृदय से आभारी हूँ। गुरुकल्प आचार्य डॉ. रसिकविहारी जोशी, विज़िटिंग प्रोफ़सर, मेक्सिको ऑटोनोमस यूनिवर्सिटी एवं एल कॉलेजियो द मैहिको को सादर प्रणति प्रस्तुत करता हूँ । इसके शीघ्र प्रकाशन को लेकर वे सदा सचिन्त रहे। — आचार्य सत्यव्रत शास्त्री का मुझे सदा स्नेह प्राप्त होता रहा है; मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूँ और इस अवसर पर उन्हें सादर सश्रद्ध स्मरण करता हूँ। .. प्रिय सखा प्रो० वाचस्पति उपाध्याय, कुलपति श्री० लालबहादुर राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली को मैं सस्नेह स्मरण करता हूँ । गत २५, २६ वर्षों से वे मेरे अनेक सुख-दुःखों को बराबर बांटते रहे हैं । 'द्वे वचसी' के लिए उन्हें धन्यवाद देकर मैं उनके रोष का पात्र नहीं बनना चाहूंगा। . लगभग १२-१३ वर्ष पूर्व, मेरे सहकर्मी बन्धुवर्य प्रो. सत्यपाल नारङ्ग के सत्परामर्शस्वरूप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से Subject Index of the Astādhyāyi पर कार्य करने के लिए एक प्रोजैक्ट स्वीकृत हुआ था; यद्यपि प्रो. नारङ्ग की दृष्टि कुछ भिन्न रूप में कार्य को उपस्थित करने की थी; पर परिस्थितियों या मनःस्थिति ने जिस रूप में भी यह कार्य सम्पादित किया, मैं उन्हें सादर सप्रेम स्मरण कर हृदय से धन्यवाद देता हूँ। ___ मैं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अधिकारियों का भी आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने प्रोजैक्ट स्वीकृत कर मुझे पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान की। ____ मैं अपने अग्रजकल्प प्रो० कृष्णलाल, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, डॉ. कमलाकान्त मिश्र, निदेशक राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली तथा डॉ. काशीराम, रीडर संस्कृत विभाग, हंसराज कॉलिज, दिल्ली को भी उनके अपने प्रति सहज स्नेह के लिए सादर सप्रेम स्मरण करता हूँ।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy